एक घटना ने यूं बदल दी अल्फ्रेड नोबेल की जिंदगी, ऐसे हुई दुनिया के सबसे बड़े अवॉर्ड की शुरूआत!

इन बड़े आविष्कारों के बाद अल्फ्रेड ने बोफोर्स नाम की एक इंजीनियरिंग कंपनी को खरीद लिया और उसे हथियार बनाने वाली कंपनी में बदल दिया।

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कभी-कभी आपके जीवन में ऐसी बहुत सी घटना हो जाती हैं जो आपके जीवन को पूरी तरह बदल देती हैं। जो आपको सोचने पर मजबूर करती हैं। आपके मन में कई तरह के सवाल पैदा कर देती हैं। सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगता है जब आपको ये पता चलता है कि दुनिया या दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं। जिस कारण से आप अपनी छवि को बदलने के लिए प्रयासों में जुट जाते हो और चाहते हो कि लोग आपको पसंद करें। आपको हमेशा आपकी अच्छाइयों के लिए ही जाना जाए। ऐसा ही कुछ हुआ था नोबल पुरस्कार की शुरुवात करने वाले अल्फ्रेड नोबेल के साथ। हम सभी अल्फ्रेड नोबेल को नोबल पुरस्कार के कारण से जानते हैं। लेकिन आप में से शायद बहुत ही कम लोग ये जानते होंगें कि अल्फ्रेड के साथ हुई एक छोटी सी घटना ने उनको पूरी तरह बदल दिया था। क्या है वो घटना चलिए बताते हैं आपको।  


अल्फ्रेड नोबेल एक बहुत ही अमीर और सफल व्यक्ति थे। उन्होंने  रसायन विज्ञान के क्षेत्र अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। अल्फ्रेड ने दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले तीन एक्सप्लोसिव्स का आविष्कार कर अपनी  पहचान बनाई थी - उन विस्फोटकों के नाम डायनामाइट, जेलिग्नाइट और बैलिस्टाइट हैं। जिन्हें आज के समय में रॉकेट प्रणोदक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।


इन बड़े आविष्कारों के बाद अल्फ्रेड ने बोफोर्स नाम की एक इंजीनियरिंग कंपनी को खरीद लिया और उसे हथियार बनाने वाली कंपनी में बदल दिया। उसके बाद उन्होंने उस कंपनी में तोपों और बंदूकों को डिजाइन कर उन्हें दुनिया भर में बेचना शुरू किया।


1888 में अल्फ्रेड को एक दुःखद खबर का सामना करना पड़ा। खबर ये थी कि अल्फ्रेड के भाई की फ्रांस जाते वक्त रस्ते में मौत हो गई। इस खबर ने अल्फ्रेड को पूरी तरह तोड़ दिया।


लेकिन एक फ्रांसीसी अखबार को लगा कि इस सड़क दुर्घटना में अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हो गई है और उनकी मौत की खबर को कुछ इस तरह प्रकाशित किया गया: THE MERCHANT OF DEATH IS DEAD. डॉ. अल्फ्रेड नोबेल, जो लोगों को मारने के तरीके खोजकर पहले से कई ज्यादा अमीर हो गए थे, कल उनकी मृत्यु हो गई ...।


ये खबर पढ़ते ही अल्फ्रेड नोबेल को बहुत बड़ा झटका लगा। खबर पढ़कर उन्हें धक्का लगा और उन्होंने सोचा कि क्या लोग सच में उनके बारे में ऐसा सोचते थे? 


इस घटना ने उन्हें बदल दिया और फिर उन्होंने अपने पैसे का उपयोग अच्छी चीज़ों के लिए करना शुरू किया। उसके बाद नोबेल ने वित्तपोषण में $ 250 मिलियन डॉलर के साथ एक फॉउण्डेशन की नींव रखी। यह फाउंडेशन हर साल दुनिया के प्रमुख विशेषज्ञों से परामर्श करेगा और उन लोगों को पुरस्कृत किया जायेगा, जिन्होंने मानवता के लिए कोई महान योगदान दिया था। इसमें विज्ञान के लिए, साहित्य के लिए, और शांति को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार दिए जाएंगें।


आज के समय में नोबेल पुरस्कार दुनिया में सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित पुरुस्कारों में से एक है। इसके जरिए से महान वैज्ञानिकों, लेखकों और कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया जाता है। 


नोबेल ने 1895 में अपनी नींव स्थापित की। एक साल बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। नोबेल पुरस्कारों ने उनकी इच्छा को पूरा किया। साथ ही लोगों के मन में द मर्चेंट ऑफ डेथ के रूप में जो उनकी छवि बन गई थी उसे खत्म किया और अपनी अलग प्रतिष्ठा बनाई।


उनके द्वारा लिए गए इस फैसले के कारण आज उन्हें एक विस्फोटक आविष्कारक या हथियार डीलर के रूप में नहीं, बल्कि सबसे बड़े परोपकारी के रूप में याद किया जाता है। अपनी छवि में किए गए इतने बड़े बदलाव के काऱण आज वह पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा उदाहरण बन गए है। उन्होंने दुनिया को ये सीखा दिया कि कैसे एक छोटी सी घटना कैसे अपने जीवन को बदलने और दुनिया में एक अच्छी जगह बनाने में मदद कर सकती है। साथ ही ये भी सिखा दिया कि किसी भी बदलाव के लिए कभी देर नहीं होती।

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