बढ़ती महंगाई ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. खाद्य, ईंधन और बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी के दम पर थोक महंगाई लगातार 13वें महीने दोहरे अंकों में रही. थोक मूल्य सूचकांक आधारित (WPI) मुद्रास्फीति दर अप्रैल में 15.08% पर पहुंच गई. थोक मुद्रास्फीति दिसंबर 1998 के बाद पहली बार 15% को पार कर गई है. दिसंबर 1998 में यह 15.32 प्रतिशत थी. इससे पहले मार्च 2022 में यह 14.55% थी, जबकि फरवरी में यह 13.11% थी. थोक महंगाई अप्रैल 2021 से दोहरे अंकों में बनी हुई है. जानकारों के मुताबिक खाद्य पदार्थों और ईंधन के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ रही है.
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ईंधन और ऊर्जा मुद्रास्फीति बढ़ी
खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दर अप्रैल के महीने में 8.35% थी, जो मार्च 2022 में 8.06% थी. कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति अप्रैल में 69.07% थी. वहीं, ईंधन और बिजली की महंगाई दर मार्च 2022 में 34.52 फीसदी से बढ़कर 38.66% हो गई है. विनिर्माण उत्पादों में मुद्रास्फीति मार्च 2022 में 10.71% से अप्रैल में 10.85% थी.
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सब्जियों, गेहूं, फलों और आलू की कीमतें साल-दर-साल आधार पर अप्रैल में तेजी से बढ़ीं, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.35% हो गई. तेल और बिजली के मामले में मुद्रास्फीति दर 38.66% थी, जबकि विनिर्मित उत्पादों की थोक मुद्रास्फीति दर 10.85 और तिलहन 16.10% थी.
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