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नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा देवी की होती है पूजा, ये है पूरी विधि

नवरात्रि के पूरे 9 दिन पूरी श्रद्धा के साथ सभी लोग पाठ-पूजा करते हुए दिखाई देते हैं। 9 दिन सभी लोगों के घर माता रानी की भक्ति होती हुई दिखाई देती है। इन पूरे नौ दिनों अलग-अलग माता रानी की पूजा होती है।

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By Tarun Yadav | Delhi, Delhi | खबरें - 05 October 2024

नवरात्रि के पूरे 9 दिन पूरी श्रद्धा के साथ सभी लोग पाठ-पूजा करते हुए दिखाई देते हैं। 9 दिन सभी लोगों के घर माता रानी की भक्ति होती हुई दिखाई देती है। इन पूरे नौ दिनों अलग-अलग माता रानी की पूजा होती है। नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। पूरी श्रद्धा के साथ उनको ध्यान करके पूजा-अर्चना होती है। 

माता कुष्मांडा को चौथा दिन नवरात्रि समर्पित होता है। उनके आठ हाथ हैं, जिसकी वजह से उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। उनके स्वरूप की बात की जाए तो मंद और हल्की मुस्कान आपका दिल जीतने के लिए काफी है। ऐसा कहा जाता है कि जिस वक्त सृष्टि का निर्माण नहीं हुआ था। उस वक्त चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा था। तब कुष्मांडा ने अपनी हल्की सी मुस्कान के साथ पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी।

पूजा का टाइम और भोग लगाने की विधि

दरअसल चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 अक्तूबर को 7 बजकर 49 एएम पर होगी। इसका समापन 7 अक्तूबर 9 बजकर 47 मिनट पर होगा। मां कुष्माण्डा का वाहन सिंह है और आदिशक्ति की 8 भुजाएं हैं। इनमें से 7 हाथों में कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, कमण्डल और कुछ शस्त्र जैसे धनुष, बाण, चक्र तथा गदा हैं. जबकि, आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। वहीं, भोग के रूप में आप उन्हें आटे और घी से बने मालपुआ चढ़ा सकते हैं। आप नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करते हैं तो इससे आपको सारे प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। लंबी आयु और स्वास्थ्य जीवन प्राप्त होता है।


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