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भगवान विष्णु के श्राप से शुरू हुआ महाकुंभ, जानिए क्या है कहानी

महाकुंभ में पवित्र स्नान करने के लिए श्रद्धालु प्रयागराज दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। 26 फरवरी को महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान होगा।

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By Pooja Mishra | New Delhi, Delhi | खबरें - 23 January 2025

महाकुंभ में पवित्र स्नान करने के लिए श्रद्धालु प्रयागराज दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। 26 फरवरी को महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान होगा। महाकुंभ को लेकर एक कहानी बहुत ज्यादा प्रचलित है जिसमें कहा जाता है कि अमृत की बूंदे धरती पर गिर गई थी। अमृत की बूंद हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में गिरी थी जहां पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, समुद्र देव ने भगवान विष्णु को श्राप दिया था जिसकी वजह से महाकुंभ की शुरुआत हुई।

शंख को असुरों ने भड़काया

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र देव के पुत्र शंख थे। शंख को पाताल और नागलोक से 'कर' लेने की जिम्मेदारी दी गई थी। असुरों ने शंख को भगवान शिव के खिलाफ भड़काया। असुरों ने यह कहा कि तुम सभी से कर वसूलते हो लेकिन विष्णु भगवान से नहीं लेते यह नियम के विरुद्ध है। 

शंख ने विष्णु भगवान से मांगा कर 

शंख असुरों के बहकावे में आ गए और उन्होंने विष्णु भगवान से कर मांगा। ऐसे में विष्णु भगवान ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन वह जिद पर अड़े रहे। कर वसूली के समय शंख ने भगवान विष्णु की पत्नी माता लक्ष्मी को लेकर कुछ ऐसे शब्द कह दिए की विष्णु भगवान ने उनका वध कर दिया। शंख ने कहा अगर आप कर नहीं दे सकते तो ये सुंदर स्त्री मुझे दे दो। इस बात को सुनते ही विष्णु जी क्रोधित हो गए।

बेटे शंख के वध पर समुद्र देव ने दिया श्राप 

जैसे ही समुद्र देव को यह बात पता चली की विष्णु भगवान ने उनके पुत्र शंख का वध कर दिया है वह क्षीर सागर पहुंच गए। समुद्र देव ने विष्णु भगवान की बात को सुने बिना ही उन्हें श्राप दे दिया की मेरे पुत्र का वध देवी लक्ष्मी के कारण हुआ है इसलिए वह समुद्र में समा जाएंगी। इसके बाद माता लक्ष्मी समुद्र में समा गईं। 

हुआ समुद्र मंथन 

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भोलेनाथ का आदेश लेने के बाद देवी लक्ष्मी को पाने के लिए विष्णु भगवान ने समुद्र मंथन करवाया था। इस तरह से समुद्र से कई बहुमूल्य रत्न निकले और देवी लक्ष्मी का अवतार भी हुआ। इसके बाद भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से विवाह किया। 

ऐसे शुरू हुआ महाकुंभ 

धार्मिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु को मिले श्राप की वजह से ही समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी के अलावा अमृत निकला था जिसे लेकर देव और असुरों के बीच में संग्राम हो गया था। युद्ध के समय अमृत कलश छलक गया और कुछ बूंद धरती पर गिर गई। जहां-जहां यह बूंद गिरी वहां-वहां महाकुंभ का आयोजन किया जाने लगा।

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