छतरपुर वाले गुरु जी, जिन्हें निर्मल सिंह महाराज, शुक्राना गुरु जी, डुगरी वाले गुरु जी या गुरु जी बड़े मंदिर वाले के नाम से जाना जाता है, एक महान आध्यात्मिक संत थे।

उनके भक्त उन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। वे दिव्य प्रकाश के रूप में पूजे जाते हैं, जिनकी कृपा से लाखों लोगों की जिंदगी बदली।

गुरु जी का महासमाधि 31 मई 2007 को दिल्ली के छतरपुर स्थित बड़े मंदिर (गुरु जी का आश्रम) में हुआ। उनका संदेश शुक्राना (कृतज्ञता) का था – जीवन के हर पल में ईश्वर का धन्यवाद करें।

शुक्राना का महत्व: हर सुख-दुख में ईश्वर का शुक्रिया अदा करें – इससे जीवन सुखमय होता है। भक्ति मार्ग: भगवान शिव की आराधना से मन शुद्ध होता है। वे कहते थे, "कर्मों का लिखा भी बदल जाता है गुरु जी का शुक्राना करने से।"

सेवा और समर्पण: भक्तों को सेवा, ध्यान और सत्संग से जोड़ा। उनके आश्रम में लंगर और चिकित्सा सुविधा मुफ्त। दिव्य कृपा: भक्तों का मानना है कि गुरु जी की कृपा से रोग, संकट और आर्थिक हानि दूर होती है। वे "दिव्य प्रकाश" के रूप में पूजे जाते हैं।

स्थान: दिल्ली के छतरपुर में, भट्टी माइंस के पास। मंदिर दर्शन: सोमवार 8 AM-8 PM, गुरुवार-रविवार 5 PM-10 PM (ePass जरूरी नहीं)। विशेषताएं: सत्संग, भजन और दर्शन। गुरु जी की जयंती और महासमाधि पर विशेष आयोजन। आश्रम में शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है।

गुरु जी कहते थे, "शुक्राना करो, तो जीवन में सुख की बरसात होगी।" उनकी कृपा से लाखों की जिंदगी बदली। छतरपुर बड़े मंदिर जाएं या सत्संग सुनें – शांति मिलेगी।

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