गोविंदगंज विधानसभा सीट से वैसे तो बीजेपी की परंपरागत सीट रही है, मौजूदा समय में यहां से बीजेपी का ही विधायक भी है। लेकिन एनडीए में हुए सीटों के बटवारे में ये सीट चिराग पासवान की पार्टी के खाते में चली गई है।
अब चिराग पासवान की पार्टी यहां से मैदान मारने के लिए जोर लगा रही है। लेकिन इस बार उसके लिए चुनौती इतनी आसान नहीं है। इस बार यहां एक तरफ कांग्रेस चिराग पासवान की पार्टी की मुश्किल बढ़ा रही है तो दूसरी तरफ इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज भी उतर चुकी है।
पूर्वी चंपारण के गोविंदगंज सीट पर चिराग पासवान की पार्टी LJP(R) ने राजू तिवारी को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस की तरफ से शशि भूषण राय भी ताल ठोक रहे हैं, जबकि प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज से कृष्ण कांत मिश्रा दांव आजमा रहे हैं।
वैसे तो इस सीट पर इन्हीं तीनों के बीच मुख्य मुकाबला बताया जा रहा है। लेकिन इसके अलावा भी इस सीट पर कुछ और पार्टियां और उम्मीदवार हैं जो उलटफेर करने का दम भर रहे हैं।
गोविंदगंज विधानसभा सीट पर उस वक्त अजब नजारा देखने को मिला जब एक ही पार्टी की टिकट पर दो लोगों ने नामांकन भरने का दावा ठोक दिया है। हालांकि बाद में एक प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस ले लिया और प्रशांत किशोर की पार्टी की बड़ी मुश्किल आसान कर दी।
गोविंदगंज विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 1990 से लेकर 2005 तक लगातार चार बार इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। साल 2010 में सीट बटवारे में ये सीट जेडीयू के खाते में चली गई थी। और यहां से जेडीयू की मीना द्विवेदी ने जीत दर्ज की थी।
उसके बाद साल 2015 के विधानसभा चुनाव में ये सीट एलजेपी के खाते में गई थी और एलजेपी के राजू तिवारी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। जबकि साल 2020 में पिछली बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सुनील मणि तिवारी ने जीत दर्ज की थी। इस तरह 1990 से लेकर आज तक इस सीट पर एनडीए का की कब्जा रहा है। लेकिन इस बार की लड़ाई पिछले तमाम मुकाबलों से अलग नजर आ रही है। अब देखना है गोविंदगंज सीट अपना इतिहास दुहराता है या इस बार कोई नई कहानी लिखता है।
Tejasswi Prakash Spotted at Yoga Classes in Bandra.