सुप्रीम कोर्ट में आए तीन नए जज, कॉलेजियम ने की थी सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने तीन जजों की नियुक्ति पर फैसला ले लिया है. सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की नियुक्ति हो चुकी है और इस तरह केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी दे दी है.

प्रतीकात्मक तस्वीर
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सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने तीन जजों की नियुक्ति पर फैसला ले लिया है. सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की नियुक्ति हो चुकी है और इस तरह केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी दे दी है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा, मुख्य न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और मुख्य न्यायाधीश संदीप मेहता को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया है. ये सभी जज गुरुवार शाम 4.15 बजे शपथ लेंगे. उनकी नियुक्ति से उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 34 हो गयी.

कॉलेजियम द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति

आपको बता दें कि जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और जस्टिस संदीप मेहता वर्तमान में दिल्ली, राजस्थान और गौहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं. आपको बता दें कि इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी और कहा था कि उच्च न्यायपालिका में कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित न्यायाधीशों की नियुक्ति में केंद्र का चयनात्मक रवैया समस्याएं पैदा करने वाला है.

कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरण के लिए अनुशंसित नामों के लंबित रहने पर भी चिंता व्यक्त की थी. पीठ ने कहा था, हमें उम्मीद है कि ऐसी स्थिति नहीं आएगी जहां इस अदालत या कॉलेजियम को कोई ऐसा फैसला लेना पड़ेगा जो उसे पसंद नहीं है. अदालत दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें से एक में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में केंद्र की देरी का आरोप लगाया गया था.

पीठ ने कहा, हमने अटॉर्नी जनरल से कहा है कि यह फिर से चिंता का विषय है क्योंकि कई मौकों पर इस बात पर जोर दिया गया है कि अगर कुछ नियुक्तियां की जाती हैं और कुछ नहीं की जाती हैं, तो परस्पर वरिष्ठता क्रम से बाहर हो जाएगी. न्यायमूर्ति कौल ने इस तथ्य की भी सराहना की कि कुछ नियुक्ति प्रक्रियाओं में तेजी लाई गई है. उन्होंने कहा, लेकिन चयनात्मक दृष्टिकोण ने बहुत सारी समस्याएं पैदा कर दी हैं.

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