इंडिया गेट को भारत की शान माना जाता है. ये भारत के ऐतिहासिक धरोहर में से एक आता है. ये 12 फरवरी 1931 को बनाकर पूरा हुआ था. 90 साल पूरानी ये स्मारक आज दिल्ली की पहचान बनी हुई है. इसका नाम शुरु में ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल रखा गया था, लेकिन बाद में इंडिया गेट रख दिया गया. इसे एड्विन लैंडसियर लूटयन्स ने डिजाइन किया था.
इंडिया गेट का निर्माण का काम 1921 में शुरु हुआ था. 1931 में बनाकर ये पूरा हुआ था. इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से किया गया था. इसकी ऊंचाई 42 मीटर है और 10 साल इसे बनाने में लगे थे. बहुत कम लोगों को पता है कि आजादी से पहले इंडिया गेट के सामने सिर्प किंग जॉर्ज वी ही प्रतिमा लगी हुई थी, जिसे बाद में आजादी के हटा दिया गया था.
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क्यों किया गया था इंडिया गेट का निर्माण?
आजादी से पहले ब्रिटिश साम्राज्य को बचाने के लिए पहले विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध के वक्त ब्रिटिश इंडियन आर्मी के कम से कम 90 हजार सैनिक शहीद हो गए थे. इन जवानों के सम्मान के लिए ही इंडिया गेट का निर्माण हुआ था. इस स्मारक की दीवारों पर इन शहीदों के नाम भी लिखे गए हैं.
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1971 से जल रही है अमर जवान ज्योति ?
1971 से अमर जवान ज्योति इंडिया गेट पर जल रही है. इसका निर्माण आजादी के बाद हुआ ता. 1971 के इंडिया-पाकिस्तान के युद्ध के वक्त भारतीय सेना की ओर से स्वतंत्र बांग्लादेश के निर्माण में अहम भूमिक निभाई गई थी. उस दौरान काफी भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. इसके बाद इस युद्ध में मारे गए भारतीय सैनिकों की याद में इंदिरा गांधी की पहल से इंडिया गेट के नीचे ये अमर जवान ज्योति बनाई गई थी.
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