श्रमजीवी एक्सप्रेस में फटा बम, दो आतंकवादियों को मिली फांसी की सजा

श्रमजीवी एक्सप्रेस बम ब्लास्ट मामले में जौनपुर की अपर जिला न्यायालय ने बुधवार को बड़ी और ऐतिहासिक सजा सुनाई.

प्रतीकात्मक तस्वीर
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श्रमजीवी एक्सप्रेस बम ब्लास्ट मामले में जौनपुर की अपर जिला न्यायालय ने बुधवार को बड़ी और ऐतिहासिक सजा सुनाई. कोर्ट ने आरोपी आतंकी नफीकुल विस्वास और हिलाल को मौत की सजा सुनाई है. कोर्ट ने दोनों पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. आधे घंटे तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. आपको बता दें कि 28 जुलाई 2005 की शाम हरपालगंज और कोइरीपुर के बीच हुए बम विस्फोट की घटना में कुल 14 रेल यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि विस्फोट में 62 यात्री घायल हो गए थे.

बिस्वास को मौत की सजा

आपको बता दें कि जौनपुर अपर जिला जज की अदालत ने चारों आतंकियों रोनी को 30 जुलाई 2016 और ओबेदुर रहमान को 31 सितंबर 2016 को मौत की सजा सुनाई थी. अब बुधवार को दो आतंकियों हेलाल और नफीकुल बिस्वास को मौत की सजा सुनाई गई है.

जुर्माने की सजा सुनाई

अदालत ने इससे पहले 22 दिसंबर और 2 जनवरी को उन्हें दोषी ठहराया था और फैसले के लिए सुरक्षित रख लिया था. अब 18 साल की कानूनी कार्यवाही के बाद कोर्ट ने दोनों को मौत की सजा और जुर्माने की सजा सुनाई है. श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन संख्या 12391 पटना से दिल्ली जा रही थी. ट्रेन गार्ड जफर अली की शिकायत पर जीआरपी थाने में मामला दर्ज किया गया है. आतंकियों ने ट्रेन की जनरल बोगी में एक ब्रीफकेस में बम रखा था. दिल्ली की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार आतंकियों के मुताबिक इस बम धमाके की साजिश जुलाई 2005 में रची गई थी.

आपको बता दें कि इससे पहले जौनपुर कोर्ट ने दो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है. एक आरोपी पर बम बनाने का और दूसरे पर बम रखने का आरोप था. इस मामले में कुल 43 गवालों को जौनपुर कोर्ट में पेश किया गया. 22 दिसंबर को जौनपुर कोर्ट ने दोनों आतंकियों को दोषी करार दिया था. बुधवार को दोनों को मौत की सजा सुनाई गई.

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