क्रिकेटर सूर्य कुमार यादव को मिला सचिन तेंदुलकर का संदेश, कही ये बात

चावल, तली हुई चीजें आदि को न के बराबर कर दिया और डिनर में सिर्फ सूप और सलाद खाना शुरू किया।

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सूर्यकुमार यादव का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा। उनके फ़ोन पर अचानक से एक मेसेज आया जब उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने के लिए नजरअंदाज किया गया। ये मेसेज था सचिन तेंदुलकर का जिसमें लिखा था जो व्यक्ति अपने खेल के लिए ईमानदार होता हैं उसका खेल भी उसकी देखभाल करता है। उसके अलावा तेंदुलकर ने ये भी कहा निराश होने की ज़रूरत नहीं है ये आख़िरी परेशानी भी हो सकती है। देश के लिए खेलने का सपना ज़रूर पूरा होगा इस पर केंद्रित रहें और खुद को क्रिकेट के लिए समर्पित कर दें। 

बता दें कि डोमेस्टिक क्रिकेट और आईपीएल में अच्छे ख़ासे रन बनाने के बाद भी यादव को आस्ट्रेलिया के दौरे पर नहीं भेजा गया है जिससे वो बेहद दुखी हैं। राहुल ने बताया कि तेंदुलकर ने मुझे सिखाया कि इस परिस्थिति से मुझे कैसे डील करना चाहिए। यादव ने सचिन के लिए कहा कि सचिन ने 24 साल तक अपने शानदार खेल से लोगों का दिल जीता फिर भी  अपने करियर में कई  तरह के उतार-चढ़ाव देखे और सहन किए। उन्होंने मुझे इस संदेश के ज़रिए एक अच्छी सीख दी है। इससे ज़्यादा मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है।


यादव ने आगे कहा कि मैंने लॉकडाउन में जो भी मेहनत की वह सब बेकार हो गयी। चार महीनों के दौरान फ़िटनेस का पूरा ख़्याल रखा। फिटनेस फ़ूड खाया। 14 किलोग्राम वजन भी कम किया।  चावल, तली हुई चीजें आदि को न के बराबर कर दिया और डिनर में सिर्फ सूप और सलाद खाना शुरू किया। उनकी इस फिटनेस ने टी 20 में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद की। उन्होंने बताया कि पहले वो 30 गेंदों को खेलने में हाई थक जाते थे। लेकिन वो कम से कम 40-50 गेंद खेलना चाहते थे।यादव एक सुरुचिपूर्ण स्ट्रोक-प्लेयर हैं। इस बार उन्होंने एक निडर स्ट्रोक-मशीन के रूप में प्रदर्शन किया। 

विभिन्न भूमिकाएँ

उन्होंने विभिन्न भूमिकाओं पर भी प्रदर्शन किया, कभी-कभी, पारी की स्थिरता, कभी-कभी फिनिशर और इन सबके अलावा ज़्यादातर वो मध्य-क्रम विध्वंसक के रूप में खेले। 

यादव की बल्लेबाजी में सबसे बड़ा सुधार उनके स्ट्राइक रेट में आया है जो 145 हो गया है। आईपीएल में किया गया उनका प्रदर्शन किसी ऐसे के लिए अच्छा है जो आमतौर पर बीच वाले ओवरों में बल्लेबाजी करते हों। उन ओवेरों में न तो पावरप्ले का क्षेत्र प्रतिबंध होता है और न ही डेथ ओवरों की स्वतंत्रता होती है। इस प्रकार उनका प्रदर्शन ख़राब पर ख़राब होता ज्ञ और वो उन्हें नजरअंदाज किया जाना शुरू हो गया। अगर वो आराम से खेल कर रन बनाते तो शायद चयनकर्ताओं को पसंद आ पाते और औस्ट्रेलिया दौरे पर जा पात

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