Hindi English
Login
Image
Image

Welcome to Instafeed

Latest News, Updates, and Trending Stories

दिशा रवि की जमानत के बाद छाई लोगों के बीच कोर्ट की सख्त टिप्पणी, धारा 124A भी रही खास

टूलकिट मामले में दिशा रवि को जमानत मिलने के बाद धारा 124 A और कोर्ट की कही हुई बातें इस वक्त सुर्खियों में बनी हुई है। जानिए आखिर क्या है उसकी बड़ी वजह।

Advertisement
Instafeed.org

By Deepakshi | खबरें - 25 February 2021

हमारे देश में इन दिनों कई सारे ऐसे मुद्दे उठते हुए नजर आ रहे हैं जिसका असर आने वाली पीड़ी या फिर यूं कहे की आम नागरिकों पर भी पड़ता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन इन सबके बीच टूलकिट मामले में आरोपी दिशा रवि को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को जब जमानत दी तो उन्होंने पुलिस की कहानी और दावों को खारिज करते हुए कई बातें कही है। ये सब तब हुआ जब एक दिन की पुलिस रिमांड के बाद दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने टूलकिट मामले में आरोपी माने जाने वाली दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया था।  जमानत देते वक्त कोर्ट ने अपने आदेश में कौन सी वो 4 बातें कही है जिसकी वजह से वो सुर्खियों में रहीआइए हम आपको एक-एक करके यहां बताते हैं।

पहला- जमानत देने वक्त कोर्ट ने पुलिस के सभी आरोपों और दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि इस केस में पुलिस के अधूरे सबूतों के आधार पर मुझे कोई कारण नजर नहीं आता है कि 22 साल की लड़की को जेल भेजा जाए। उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं रहा  है। कोर्ट ने ये भी कहा कि व्हाट्सऐप ग्रुप बनाना, टूलकिट को एडिट करना अपने आप में कोई क्राइम नहीं है। इस मामले में व्हाट्सऐप चैट डिलीट करने से PJF संगठन से जोड़ना कोई ठीक बात नहीं है। ये कोई ऐसा सबूत नहीं है जिससे उसकी अलगाववादी सोच साबित हो। 26 जनवरी को शांतुन के दिल्ली आने में किसी भी तरह की कोई बुराई नहीं है।

दूसरा-  टूलकिट या उसके हाईपर लिंक में देशद्रोह जैसी कोई चीज नहीं है। सरकार से किसी बात पर सहमत न होने पर किसी को देशद्रोह के आरोप में जेल नहीं भेजा जा सकता है। लोकतंत्र देश में हर किसी को अपनी बात रखने का मौलिक अधिकार है। असंतोष का अधिकार दृढ़ता में निहित है। मेरे विचार से बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में ग्लोबल ऑडियन्स की तलाश का अधिकार शामिल है। संचार पर कोई भौगोलिक बाधाएं उपलब्ध नहीं है। एक आम नागरिक के पास कानून के अनुरूप संचार प्राप्त करने के सर्वोत्तम साधनों का उपयोग करने का मौलिक अधिकार मौजूद है। ये समझ से बाहर है कि प्रार्थी ने अलगाववादी तत्वों को वैश्विक प्लेटफॉर्म कैसे दिया।

तीसरा- कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया कि हमारी सभ्यता 5 हजार साल पुरानी है। कोर्ट ने ऋग्वेद का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे पास ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहे हैं जोकि किसी से न दबे और न ही कही से बाधित किया जा सके, हालांकि कोर्ट ने ये तक कह दिया कि ऐसे केसों में साजिश साबित करना आसान नहीं। 

चौथा- कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि टूलकिट से हिंसा को लेकर कोई कॉल की बात साबित नहीं होती है। एक लोकतांत्रिक देश में नागिरक सरकार पर नजर रखते हैं। ऐसा सिर्फ इसीलिए क्योंकि वो सरकारी नीति से सहमत नहीं है। ऐसे में उन्हें जेल नहीं भेजा जा सकता है। देशद्रोह के कानून का ऐसा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

इस धारा के आधार पर गिरफ्तार की गई थी दिशा रवि- 

ग्रेटा थनबर्ग ने ट्विटर पर जो टूलकिट शेयर की थी, उस मामले में दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरु दिशा रवि के खिलाफ देशद्रोह की धारा लगाई थी। आईपीसी में धारा 124-A में देशद्रोह की परिभाषा अच्छी तरह से दी गई है। इसका ये मतलब है कि यदि कोई भी व्यक्ति सरकार के विरोध में जाकर कुछ भी लिखता या फिर बोलता है या फिर किसी भी तरह की बातों का समर्थन करता है तो उसे उम्रकैद या फिर तीन साल की सजा हो सकती है। ऐसे में ये देखा गया है कि जब-जब सरकार के खिलाफ कोई कुछ भी बोलता है तो उस पर ये धारा लगती है और वो चर्चा में आ जाती है। इस धारा पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। 

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2014 से 124 ए के तहत गिरफ्तार हुए लोगों का डेटा रख रही है। अब तक ताजा आकंड़े जो सामने आए है वो 2019 के हैं। एनसीआरबी की माने तो 2014 से 2019 तक 124 के चलते 559 लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन 10 ही लोग दोषी ठहराए गए हैं।

महात्मा गांधी और भगत सिंह पर भी लगी थी ये धारा

17वीं सदी में इंग्लैंड के अंदर सरकार और वहां के साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाना शुरु हो गई थी। जब वहां महसूस हुआ कि इससे उनकी परेशानी और बढ़ सकती है तो अपनी सत्ता को बचाने के लिए सरकार लेकर आई सिडिशन कानून यानी देशद्रोह। यहीं कानून 1870 में अंग्रेजों के जरिए भारत आया। जब इंडियन पीनल कोड 1860 में लागू हुआ तब सिडिशन कानून का कोई वजूद तक नहीं था। लेकिन 1870 में आईपीसी में संशोदन करने के बाद धारा 124A को जोड़ा गया था। वही धारा जोकि देशद्रोह करने पर लगाई जाती है। अग्रेंजों के खिलाफ कोई आवाजा उठाता तो इस धारा के तहत उसे गिरफ्ता कर लिया जाता था। यहां तक की महात्मा गांधी से लेकर भगत सिंह पर इस धारा के तहत निशाना साधा गया था। 2009 में बाद में जाकर इस कानून को खत्म कर दिया गया था लेकिन भारत में आज भी इसे लागू किया जाता है।


Advertisement
Image
Advertisement
Comments

No comments available.