झारखंड में गड़बड़ाया सरकारी हिसाब, जाए की है मामला

झारखंड में योजना के नाम पर सरकारी धन की लूट का भंडाफोड़ हमेशा होता रहा है, लेकिन इस बार जो खुलासा हुआ है वह चौंकाने वाला है.

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झारखंड में योजना के नाम पर सरकारी धन की लूट का भंडाफोड़ हमेशा होता रहा है, लेकिन इस बार जो खुलासा हुआ है वह चौंकाने वाला है. विभाग के लिए निर्धारित बजट के 10 हजार करोड़ रुपये कहां खर्च किए गए, इसका कोई हिसाब नहीं मिल रहा है. उपयोगिता प्रमाण पत्र एजी को नहीं भेजे जाने के बाद यह तथ्य सामने आया. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि 20 साल बाद इसका ऑडिट किया गया और 10 हजार करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला. अब वित्त विभाग ने इसे लेकर जून माह में समीक्षा बैठक बुलाई है.

वित्त विभाग को आशंका

खास बात यह है कि इन घोटालों का संबंध किसी एक सरकार के कार्यकाल से नहीं है. 20 साल बाद ऑडिट में इसका खुलासा हुआ है, लेकिन यह मामला किस विभाग से जुड़ा है, इसका खुलासा वित्त विभाग ने नहीं किया है. माना जा रहा है कि ये घोटाले एक दर्जन से अधिक विभागों के हैं. वित्त विभाग को आशंका है कि इस राशि के बड़े हिस्से का गबन हो सकता है. अगर ऐसा हुआ है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी. यह खेल सड़क से पुल-पुलिया और भवन से लेकर अन्य योजनाओं के नाम पर हुआ है.

उपयोगिता प्रमाण पत्र 

सरकार की योजना के नाम से निकाली गई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग ने आज तक जमा नहीं किया है, यानी काम हुआ है या नहीं, इसमें संदेह है. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम का मानना ​​है कि यह विभाग की लापरवाही है. यही हाल विधायक व सांसद निधि से खर्च की गई राशि का है. अब शासन ने सभी विभागों को आदेश जारी कर दिया है कि किसी भी स्थिति में उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा किया जाए.

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