Electoral Trust की Report में BJP को 250 करोड़, जानें कौन है दूसरे No. पर!

कैसे चुनवी चंदा इक्ट्ठा करने में मारी बीजेपी ने बाजी? कौन है इस रेस में दूसरे नं. बराबर? किस पार्टी को मिला कितना चंदा? आइये बताते हैं आपको सब कुछ विस्तार से।

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चंदा इकट्ठा करने में कैसे बाजी मार गई बीजेपी? इस दौड़ में दूसरे स्थान पर कौन है? बराबर? किस पार्टी को कितना चंदा मिला? आइए आपको सबकुछ विस्तार से बताते हैं.

बीजेपी हो या कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी या फिर कोई क्षेत्रीय पार्टी, हर पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए चंदे की जरूरत पड़ती है. इस बीच 2022-23 में मिले चंदे को लेकर एक एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। दरअसल, इसके मुताबिक बीजेपी को इस दौरान 250 करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा मिला है.

पहले बीजेपी, दूसरा बीआरएस!

एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, 2022-23 में चुनावी ट्रस्ट के तहत सभी राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का 71 फीसदी सिर्फ भारतीय जनता पार्टी को मिला है. इसके बाद भारत राष्ट्रीय समिति (बीआरएस) करीब 25 फीसदी दान के साथ दूसरे स्थान पर है. यह अपने आप में आश्चर्य की बात है कि बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टी के बाद बीआरएस ने सीधे जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस जैसी मशहूर पार्टियां लोगों का विश्वास या चंदा तक पाने में नाकाम रहीं. आपको बता दें कि यह एनजीओ चुनाव सुधार के लिए काम करता है।

किस पार्टी को कितना चंदा?

फिलहाल प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी को चुनावी ट्रस्ट से मिले कुल चंदे में से जहां 259.08 करोड़ रुपये मिले, वहीं बीआरएस सिर्फ 90 करोड़ रुपये का ही चंदा इकट्ठा कर सकी. अगर किसी पार्टी की बात करें तो उनमें वाईएसआर कांग्रेस, आप या कांग्रेस को कुल 17.40 करोड़ रुपये मिले.

इलेक्टोरल ट्रस्ट को कितना पैसा मिला?

एनजीओ ने 2022-23 के लिए चुनावी ट्रस्टों में राजनीतिक दलों के योगदान का विश्लेषण करके एक रिपोर्ट बनाई। इसके मुताबिक, 39 कॉरपोरेट या व्यावसायिक घरानों ने ट्रस्टों को 363 करोड़ रुपये से ज्यादा का दान दिया. इसके अलावा, 34 कॉर्पोरेट या वाणिज्यिक घरानों ने प्रूडेंशियल इलेक्टोरल ट्रस्ट को 360 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया। एक कंपनी ने समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट को 2 करोड़ रुपये का चंदा दिया, जबकि दो कंपनियों ने परिवर्तन इलेक्टोरल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये का चंदा दिया. आपको बता दें कि अब तक 18 स्वीकृत चुनावी ट्रस्टों में से केवल 5 ने ही कॉरपोरेट घरानों या लोगों से मिले चंदे की जानकारी सार्वजनिक की है।

एडीआर की ये रिपोर्ट साफ-सुथरी है और बताती है कि बीजेपी का जनता के बीच कितना प्रभाव है. अपनी सनातनी विचारधारा के साथ यह पार्टी हर क्षेत्र में प्रथम स्थान पर आ रही है। कहने की जरूरत नहीं कि इस साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव इतिहास रचेंगे. 2022-23 जहां बीजेपी के लिए मजबूत साल साबित हुआ, वहीं इस साल का सूरज पार्टी के लिए रोशनी की नई किरण भी लेकर आएगा. राम मंदिर के उद्घाटन से शुरू होने वाला 2024 विपक्षी दलों के लिए एक चुनौती है जिसमें उन्हें जनता के सामने यह साबित करना होगा कि बीजेपी नहीं बल्कि वे ही उनके असली हितैषी हैं.

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