जानिए कब है शीतला अष्टमी का व्रत? ये है पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

शीतला अष्टमी का अपना महत्व है। इसे दिन को बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी लोग जानते हैं। ये हिंदू पंचाग के मुताबिक हर साल चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। साथ ही पूरे विधि-विधान के साथ उनकी पूजा करती है।

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शीतला अष्टमी का अपना महत्व है। इसे दिन को बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी लोग जानते हैं। ये हिंदू पंचाग के मुताबिक हर साल चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। साथ ही पूरे विधि-विधान के साथ उनकी पूजा करती है। ऐसा कहा जाता है कि माता शीतला माता की पूजा करने से रोग-दोष से छुटकारा मिलता है। साथ ही लंबी उम्र का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि शीतला आष्टमी की पूजा विधि और मुहूर्त से जुड़ी जानकारी यहां। 

माता शीतला माता को बेहद ही कल्यामकारी माना जाता है। माता गर्दभ में विराजमान होती है। शीतला माता के हाथ में कलश, सूप, झाड़ू और नीम की पत्तियां मौजूद होती है। 

1. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ- 15 मार्च को सुबह 12 बजकर 09 मिनट से

2. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त- 16 मार्च को रात 10 बजकर 04 मिनट पर

3. शीतला अष्टमी पूजन का उत्तम मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शाम 06 बजकर 35 मिनट तक

आपको ये जानकारी हैरानी होगी कि शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। भोजन शीतला माता की पूजा से एक दिन पहले बनाया जाता है। माता को जो भोग लगाया जाता है वो चावल-गुड़ या फिर चावल और गन्ने के रस से बना होता है। इस दिन माता को मीठी रोटी का भी भोग लगता है। 

इस तरह करें शीतला माता की पूजा

1. शीतला माता काव्रत करने वाले को सुबह उठ कर स्‍नान करना चाहिये। फिर मंत्र बोलकर संकल्प लेना चाहिये। 

2. मंत्र कुछ इस प्रकार है- मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी अष्टमी व्रतं करिष्ये

3. इसके बाद पूरे विधि विधान से माता शीतला की पूजा करें। 

4. फिर बासी यानि ठंडा खाना जो आपने एक रात पहले बनाया हो उसे माता को भोग लगाएं।

5. उसके बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें। उनकी कथा सुनें और जगराता करें। 

6. इस दिन माता को श्रीफल अर्पित करें और पानी में भिगोई हुई चने की दाल चढ़ाएं। शीतला माता को ठंडा भोजन चढाना चाहिये जिसे एक दिन पहले रात में बनाकर रख लिया जाता है।

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