इस तरह से हुआ था देवों के देव महादेव का मां पार्वती संग विवाह, अपनी शादी में ऐसे बने थे दूल्हे

पुराणों की माने तो महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव और माता पर्वती का विवाह हुआ था। लेकिन जब भगवान शिव माता पार्वती की मां के सामने आए तो जानिए फिर क्या हुआ।

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महाशविरात्रि इस बार 11 मार्च को पड़ रही है। इस दिन ही भगवान शिव ने माता पर्वती के साथ विवाह किया था। इस दिन को लेकर वैसे तो कई सारी मान्यताएं हैं लेकिन आज हम आपको बातते हैं भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से जुड़ी ऐसी कहानी के बारे में जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। पुराणों की माने तो महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव और माता पर्वती का विवाह हुआ था। तो चलिए आपको बताते हैं देवों के देव और माता पार्वती की शादी से जुड़ी खूबसूरत कथा के बारे में यहां-

मां पार्वती भगवान शिव से शादी करने की इच्छा अपने मन में बसाए हुए थीं। सभी देवता गण भी इसी बात से सहमत थे कि पर्वत राजकन्या पार्वती का विवाह भगवान शिव का होना चाहिए। कई देवताओं ने कन्दर्प को पार्वती की मद्द करने के लिए भेजा था लेकिन भगवान शिव की तीसरी आंख ने उसे भस्म कर दिया। लेकिन माता पार्वती ने तो ये ठान लिया था कि वो विवाह करेंगी तो सिर्फ भोलेनाथ से। 


भगवान शिव ने जब मां पार्वती को समझाया

भगवान शिव को अपना जीवनसाथी बनाने के लिए मां पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या के चलते हर जगह हाहाकार मच गया था। कई बड़े-बड़े पर्वतों की नींव तक डगमगाने लगी थी। इन सभी चीजों को देखने के बाद भगवान शिव ने अपनी आंख खोली और पार्वती से इस बात का आवहन किया कि वो किसी समृद्ध राजकुमार से शादी कर लें। साथ ही भगवान शिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक तपस्वी के साथ जीवन बिताना इतना आसान नहीं होता है।

इसीलिए भगवान शिव हुए थे शादी के लिए राजी

लेकिन इन सबके बावजूद माता पार्वती अडिग थी, उन्होंने साफ कर दिया था कि वो उन्हें अपना जीवनसाथी ही बनाकर रहेंगी। अब पार्वती की ये जिद देख भोलेनाथ पिघल गए और उनसे विवाह करने के लिए वो राजी हो गए। शिव को लगा कि पार्वती उन्ही की तरह हठी ऐसे में दोनों की जोड़ी अच्छी रहेगी। 

शादी की तैयारी इसके बाद जोरों से शुरु हो गई। लेकिन परेशानी ये थी कि भगवान शिव एक तपस्वी थे और उनके परिवार का कोई भी सदस्य नहीं था। ऐसे में मान्यता ये थी कि एक वर को अपने परिवार के साथ लड़की का हाथ मांगने के लिए जाना पड़ता है। उन्होंने ऐसे में अपने साथ भूत-प्रेत, डाकिनियां और चुड़ैलों को साथ ले जाना सही समझा। भगवान  तो ठेहरे तपस्वी उन्हें ये बात बिल्कुल भी नहीं पता था कि विवाह के वक्त कैसे तैयार हुआ जाता है। ऐसे में सभी डाकिनियों और चुड़ैलों ने उन्हें भस्म से सजा दिया और उनके गले में हड्डियों की माला डाल दी।


ऐसे हुए महादेव की मां पार्वती संग शादी

जब बारात मां पार्वती के द्वार पहुंची तो सभी देवता हैरान रह गए। इसके अलावा वहां जितनी भी महिलाएं खड़ी थी वो भी डरकर भाग गई। भगवान शिव का वो विचित्र रूप देखकर मां पार्वती की मां भी हैरान रह गई और उन्होंने अपनी बेटी का हाथ देने से मना कर दिया। हालतों को बिगड़ता देख मां पार्वती ने भगवान शिव से प्राथना की वो  उनके रिति रिवाजों के मुताबिक तैयार होकर आए। भगवान शिव मान गए और सभी देवताओं को ये फरमान दियाक कि वो उनको खूबसूरत तरीके से तैयार करें। ये सुनकर सभी देवता हरकत में आ गए और उन्हें तैयार करने में जुट गए।


भगवान शिव को दैवीय जल से फिर नहलाया गया और रेशम के फूलों से भी सजाया गया। इसके बाद भगवान शिव तैयार होकर आए और उनका गोरापान तो चांद की रोशनी को भी मात दे रहा था। जब भगवान शिव इस रूप में पहुंचे तो माता पार्वती की मां ने उन्हें तुरंत ही स्वीकार कर लिया है और ब्रह्मा जी की मौजूदगी में दोनों ने शादी की। तो ऐसे एक-दूसरे के हमेशा के लिए हो गए थे महादेव और मां पार्वती।

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