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मंकीपॉक्स अब धीरे-धीरे फैल रहा है। देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला 14 जुलाई को केरल में सामने आया था. तब से अब तक 9 मामले सामने आ चुके हैं. केरल में एक 22 वर्षीय युवक की भी मंकीपॉक्स से मौत हो गई है. अब जबकि मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ने लगा है तो इसके बारे में सबसे बड़ी गलतफहमी को भी दूर किया जाना चाहिए. वह गलतफहमी क्या है? मंकीपॉक्स के बारे में सबसे बड़ी गलत धारणा यह है कि समलैंगिक पुरुषों को इससे खतरा होता है. और महिलाओं को इससे संक्रमित होने का खतरा कम होता है.
लेकिन मंकीपॉक्स एक छूत की बीमारी है, जो किसी को भी हो सकती है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पुरुष हैं या महिला. राजधानी दिल्ली में एक महिला मंकीपॉक्स से संक्रमित पाई गई है. दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस घेब्रेयसस ने कुछ दिन पहले कहा था कि मई में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था. तब से लेकर अब तक समलैंगिक, उभयलिंगी और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में 98% मामले सामने आए हैं.
निकट शारीरिक संपर्क के माध्यम से मंकीपॉक्स फैल सकता है
स्वास्थ्य विशेषज्ञ अनमोल सिंह ने कहा कि एक जोखिम यह भी है कि लोग समुदाय से खुद को दूर करना शुरू कर देंगे, जिससे अकेलापन हो जाएगा. स्वास्थ्य पेशेवरों ने यह भी स्पष्ट किया कि मंकीपॉक्स, यौन अभिविन्यास या नस्ल की परवाह किए बिना, निकट शारीरिक संपर्क के माध्यम से फैल सकता है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली के त्वचा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ सोमेश गुप्ता ने कहा कि COVID महामारी ने मुख्यधारा के मीडिया को स्वास्थ्य क्षेत्र में नवीनतम विकास पर रिपोर्ट करने के लिए प्रेरित किया है. लेकिन, एक चिकित्सा पेशेवर की समझ के अभाव में, यह सनसनी का हथियार बन जाता है, उन्होंने कहा. गुप्ता ने कहा कि यह एक बार फिर हो रहा है, इस बार मंकीपॉक्स के मामले में, एक बीमारी जो न केवल यौन संबंधों के माध्यम से फैलती है, बल्कि त्वचा से त्वचा और त्वचा से कपड़े के संपर्क से भी फैलती है.
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