क्या है संकष्टी चतुर्थी, जानें इसका महत्व

सकट चौथ या संकट चौथ, जो महिलाओं द्वारा अपने बच्चों की भलाई के लिए उपवास किया जाता है, इस वर्ष 21 जनवरी को मनाया जाएगा.

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सकट चौथ या संकट चौथ, जो महिलाओं द्वारा अपने बच्चों की भलाई के लिए उपवास किया जाता है, इस वर्ष 21 जनवरी को मनाया जाएगा. त्योहार, जिसे गणेश चौथ, संकष्टी चतुर्थी, माघी चौथ, लम्बोदर संकष्टी और तिलकुटा के रूप में भी जाना जाता है, माताओं द्वारा अपने बच्चों की सुरक्षा और लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करने वाले भगवान गणेश की पूजा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल सकट चौथ 21 जनवरी (शुक्रवार) को मनाया जाएगा. अनुष्ठान 21 जनवरी को सुबह 8.51 बजे से शुरू किया जा सकता है और शुभ मुहूर्त 22 जनवरी (शनिवार) को सुबह 9.41 बजे समाप्त होगा.


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चतुर्थी तिथि शुरू: 21 जनवरी (शुक्रवार) सुबह 8.51 बजे

चतुर्थी तिथि समाप्त: 22 जनवरी (शनिवार) सुबह 9.41 बजे

चंद्रोदय का समय: 21 जनवरी रात 9 बजे के आसपास

पूजा विधि

प्रातः उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. षोडशोपचार विधि से भगवान गणेश की पूजा करें और उनके श्लोकों का जाप करते रहें. भगवान को फूल चढ़ाएं और दिन भर के उपवास की शुरुआत करें। स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी हो तो फल खाते समय व्रत का पालन करें. पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए अपने मन में भगवान गणेश के नाम का जाप करते रहें. सूर्यास्त के बाद स्नान कर फिर से पूजा करने से पहले साफ कपड़े पहन लें.

एक कलश में जल भरकर पूजा स्थल के पास रख दें और अगरबत्ती जलाकर अनुष्ठान शुरू करें. तिल-गुड़, गन्ना, शकरकंद चढ़ाएं और प्रसाद में गुड़ और घी डालना न भूलें. प्रसाद को बांस की डली में रखें और रात भर भगवान के सामने छोड़ दें. माघी चतुर्थी की कथा का पाठ करते हुए आरती करने के बाद चंद्रमा को 'भोग' और जल अर्पित करें और बच्चों के सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें. अनुष्ठान समाप्त होने के बाद, उपस्थित सभी लोगों को पूजा प्रसाद वितरित करें.

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