कुंभनगरी हरिद्वार में दिखा भव्य नजारा, पेशवाई पर की गई हेलिकॉप्टर से फूलों से बरसात

निरंजनी अखाड़े की भव्य पेशवाई के साथ तीर्थनगरी हरिद्वार में आस्था का सैलाब उमड़ आया। वही कुंभ में सभी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र पहली पेशवाई निरंजनी अखाड़े की निकली।

  • 1709
  • 0

निरंजनी अखाड़े की भव्य पेशवाई के साथ तीर्थनगरी हरिद्वार में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। उसी कुंभ में पहला पेशवाई निरंजनी अखाड़ा सभी भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया। इसके साथ ही निरंजनी अखाड़ा कुंभ मेला परिसर में प्रवेश किया। यही नहीं सुबह 10 बजे एसएमजेएन पीजी कॅालेज से पेशवाई की शुरुआत उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद सिंह रावत की ओर से पूजा अर्चना करने के बाद हुई।  

आपको बता दें पेशवाई का दृश्य अद्भुत था। सबसे आगे हाथी थे उसके बाद ऊंट चल रहे  थे। फिर नागा साधु आचार्य महामलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि का रथ और फिर अन्य महामंडलेश्वरों के रथ चल रहे है। आचार्य महामंडलेश्वर और महामंडलेश्वर को फूलों से सजे लगभग 50 रथों पर चांदी के सिंहासन पर बैठाया गया। इसके साथ ही बड़ी संख्या में नागा साधु भगवान शंकर की पूजा करने के लिए भगवान पेशवा के पास गए। पेशवाई में तीन हेलीकॉप्टरों से फूलों की वर्षा की गई।

पेशवाई के लिए विशेष तौर पर मगाया गया बैंड


बैंड को विशेष रूप से नासिक से निरंजनी अखाड़ा में आमंत्रित किया गया था। इसके अलावा 25 और बैंड ने पेशवाई की शोभा बढ़ाई। स्वामी की पालकी के अलावा 30 ट्रक, 30 जिप्सी का काफिला भी मौजूद रहा । पेशवाई किसी भी क्षेत्र के लिए विशेष महत्व रखती है। यह धन, जनशक्ति और अखाड़े की समृद्धि को दर्शाता है।

आईजी कुंभ संजय गुंज्याल ने कहा कि पूरे शहर क्षेत्र को पेशवाई के लिए दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया था और एसपी स्तर के अधिकारियों को वहां रखा गया था। सेक्टर स्तर के अधिकारियों को काम पर रखा गया था। पेशवाई के लिए ट्रैफिक डायवर्जन भी किया गया था। सुरक्षा के लिए लगभग 700 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे।

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद सिंह रावत ने कहा कि मैं निंरजनी अखाड़े की पेशवाई के दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी जी महाराज और सभी संतों का आशीर्वाद लेने के लिए यहां आया हूं। इसके बाद  मैं कुंभ कार्यों का भी निरीक्षण करुंगा। इसके साथ-साथ निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री मंहत रवींद्र पुरी ने कहा कि पेशवाई के लिए महाराष्ट्र से पेशवा समाज के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया। वही पेशवाई में हमारा नियम है कि सबसे आगे हाथी होते हैं उसके बाद ऊंट होते हैं फिर हमारी जितनी भी शाखाएं हैं उनके बैनर होते हैं।राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी परमहंस परमानंद महाराज ने कहा कि हजारों साल से कुंभ की परंपरा चली आ रही है। नश्वर और दुखमय संसार में शांति और आनंद का संदेश देने के लिए ये परंपरा डाली गई थी।

RELATED ARTICLE

LEAVE A REPLY

POST COMMENT