शिवसेना विवाद: इस्तीफा न देते तो बच सकती थी ठाकरे की कुर्सी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंगे गुट के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने 11 मई को अपना फैसला सुनाया है.

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महाराष्ट्र की राजनीतिक में चल रहे संकट मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने कहा हम विधायकों की अयोग्यता का फैसला नहीं ले सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए. कोर्ट ने गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध बताया है. 

उद्धव ठाकरे विधायकों का समर्थन खो चुके हैं;SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं. राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है.

उद्धव ठाकरे को नहीं मिली राहत 

सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को राहत देने से इनकार कर दिया क्योंकि यह देखा गया कि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, महाराष्ट्र के राज्यपाल का निर्णय भारत के संविधान के अनुसार नहीं था. कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया.

पांच जजों की बेंच ने सुनाया फैसला 

बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंगे गुट के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने 11 मई को अपना फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा इस संविधान पीठ में शामिल थे. 


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