भूतों से छुटकारा पाने के लिए तांत्रिको ने काटी जीभ, जानिए पूरा मामला

भूत्री अमावस्या को माना जाता है कि यह दिन शरीर से बुरी आत्माओं को भगाने के लिए निर्धारित किया गया है, इसीलिए मध्य प्रदेश के नर्मदा घाटों पर भूतों का मेला लगता है.

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भूत्री अमावस्या को माना जाता है कि यह दिन शरीर से बुरी आत्माओं को भगाने के लिए निर्धारित किया गया है, इसीलिए मध्य प्रदेश के नर्मदा घाटों पर भूतों का मेला लगता है. मान्यता है कि इस दिन नर्मदा में डुबकी लगाने से बुरी आत्माओं से मुक्ति मिलती है.

नर्मदा में स्नान और तांत्रिक क्रिया 

वहीं मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस मोक्ष की प्राप्ति के लिए बड़वाह नवघाट खेड़ी में तांत्रिक तलवार से अपनी जीभ काटकर तलवार पर खून लगाती हैं और चुनरी लगाकर बाहरी आपदाओं से प्रभावित लोगों की बाधाओं को दूर करती हैं. लोगों में आस्था और भक्ति है, इसलिए इतनी बड़ी संख्या में लोग नर्मदा में स्नान और तांत्रिक क्रिया करने आते हैं. पूजा स्थल पर किसी ने काली माता तो किसी ने निशान त्रिशूल-तलवार सहित भेरू बाबा का पूजन किया.

चैत्र की भूतिया अमावस्या 

बता दें कि चैत्र की भूतिया अमावस्या पर मालवा निमाड़ क्षेत्र सहित राजस्थान से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बड़वाह के नर्मदा तट पर तांत्रिक क्रिया करने पहुंचे थे. विपत्तियों से प्रभावित लोगों की बाधाओं को दूर किया. नर्मदा स्नान और तांत्रिक अनुष्ठानों पर लोगों की बहुत आस्था और श्रद्धा है, इसलिए इतनी बड़ी संख्या में लोग नर्मदा स्नान और तांत्रिक अनुष्ठान करने आते हैं. भूत्री अमावस्या पर, बाहरी बाधाओं से पीड़ित लोगों को नर्मदा के पानी में ओझाओं और ऋषियों द्वारा स्नान कराया जाता था.

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