बीसीसीआई के सूत्रों के मुताबिक ड्रीम11 एक भारतीय कंपनी है जिसकी स्थापना हर्ष जैन और भावित सेठ ने की.
संयुक्त अरब अमीरात में होने वाले आईपीएल 2020 की टाइटल स्पॉन्सरशिप अब फैंटेसी गेमिंग फर्म ड्रीम इलेवन को मिल गई है. अभी हाल में हुए चाइनीज़ कंपनियों के विरोध के कारण मोबाइल कंपनी वीवो को टाइटल स्पॉन्सरशिप छोड़नी पड़ी. बता दें कि स्पॉन्सरशिप की दौड़ में स्वामी रामदेव की कंपनी पतंजलि, टाटा आदि कई लोग शामिल थे, लेकिन ड्रीम 11 ने सभी को पीछे छोड़ दिया है. जानकारी के मुतबिक टाटा ने अंतिम बोली नहीं लगाई। फैंटेसी खेल प्लेटफॉर्म ड्रीम11 ने चाइनीज कंपनी वीवो की जगह साढ़े चार महीने के अग्रीमेंट के लिए 222 करोड़ रुपये की बोली लगाई और इंडियन प्रीमियर लीग में टाइटिल स्पॉन्सरशिप अपने नाम कर ली.
क्या है ड्रीम 11? कैसे और कितने में मिली टाइटल स्पोंसरशिप? किसकी है कंपनी? ऐसे सभी सवालों के जवाब जानें रिपोर्ट में
- ड्रीम-11 बना आईपीएल का नया टाइटल स्पॉन्सर, वीवो की ली जगह
- ड्रीम11 पिछले कुछ सालों से आईपीएल के प्रायोजन से जुड़ा है
- 775 करोड़ का रेवेन्यू, 2 चीनी कंपनियों समेत 5 हिस्सेदार
- टेनसेंट, स्टेडव्यू कैपिटल, कलारी कैपिटल, थिंक इन्वेस्टमेंट और मल्टीपल्स इक्विटी की हिस्सेदारी
- धोनी, रोहित शर्मा, बुमराह, स्टोक्स जैसे 17 खिलाड़ी रहे ब्रांड एम्बेसडर
- चीन की टेन्सेंट ने 2018 में ड्रीम-11 में 10 करोड़ डॉलर का किया था निवेश
- हांगकांग की कंपनी स्टेडव्यू कैपिटल ने 2019 में 6 करोड़ डॉलर का किया था निवेश
- बीसीसीआई के सूत्रों के मुताबिक ड्रीम11 की स्थापना भावित सेठ और हर्ष जैन के द्वारा की गई थी और ये भारतीय कंपनी है
-‘मल्टीपल्स इक्विटी और कलारी कैपिटल उनके भारतीय निवेशक हैं
- ड्रीम 11 के स्टेक होल्डर्स में 400 से ज्यादा भारतीय कर्मचारी और संस्थापक हैं
- फैंटेसी गेमिंग फर्म ड्रीम-11 इसके लिए बीसीसीआई को 222 करोड़ रुपए देगी
- 2021-22 की टाइटल स्पॉन्सर भी ड्रीम-11 ही होगी, जिसके लिए कंपनी हर साल देगी 240 करोड़
- यह तीन साल के लिए प्रति वर्ष औसतन 234 करोड़ रुपये आएगा
- चीनी कंपनियों के विरोध के चलते बीसीसीआई ने वीवो से कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया, लेकिन ड्रीम-11 में भी चीनी निवेश का आरोप
- सूत्र के मुताबिक ‘बीसीसीआई टाटा की मौजूदगी चाहता था क्योंकि उससे विश्वसनीयता काफी बढ़ती.’
- भारत- चीन सीमा विवाद के कारण VIVO और BCCI ने इस सत्र के लिए प्रति वर्ष 440 करोड़ रुपये के करार को निलंबित कर दिया