पीएम मोदी का समर्थन करने राम मंदिर पहुंचे ये शंकराचार्य, जानिए इनके बारे में!

अयोध्या के राम मंदिर विवाद में कब हुई किस शंकराचार्य की एंट्री? कौन हैं वो जिन्होंने पीएम मोदी का साथ दिया या एक जरूरी एलान कर दिया?

Ram Mandir
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अयोध्या के राम मंदिर विवाद में अब किस शंकराचार्य की एंट्री हुई? कौन हैं वो जिन्होंने पीएम मोदी का साथ दिया या एक जरूरी एलान कर दिया? क्या इससे अलग सोच वाले शंकराचार्यों की बनेगी एक राय या खड़ा होगा एक या नया विवाद? क्या ये भव्य योजना लाएगी चारो प्रमुख पीठों के शंकराचार्यों को एक साथ?

अयोध्या का नवनिर्मित राम मंदिर अपने साथ लेकर आया है कई नए विवाद। अभी उद्घाटन समारोह हुआ भी नहीं या लोगों ने इसपर घमासान छेड़ दिया है। क्या बार मुद्दा है पीएम मोदी या शंकरचार्यों की नाराजगी।

दरसअल प्रधानमंत्री के हाथों का उद्घाटन होने की बात पर ज्योतिष या गोवर्धन पीठों के शंकराचार्यों ने ऐतराज़गी जाहिर करते हुए समारोह में शामिल न होने का फैसला किया है तो वहीं श्रंगेरी मठ के शंकराचार्य पीएम का समर्थन करते दिखे। कहने की जरूरत नहीं कि चारों प्रमुख पीठों के शंकरचार्यों की राय अलग है। ऐसे में बीजेपी को सहारा दिया तमिलनाडु के कांचीपुरम इस्थित कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सारस्वत स्वामीगल ने। कौन हैं ये या क्या है इनका भव्य आयोजन, आइये बताते हैं आपको।

बच्चों ने क्या कहा?

शंकराचार्य विजयेंद्र सारस्वत स्वामीगल बोले, “श्री राम के आशीर्वाद से 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह मनाया जाएगा। इसी के चलते काशी में हमारी यज्ञशाला भी भव्य योजना के साथ 40 दिनों के लिए विशेष प्रार्थना करेगी जिसमें 100 से भी ज्यादा विद्वान यज्ञशाला में पूजा या हवन करेंगे।”

वो यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्हें भी कहा कि पीएम मोदी भारत के सभी तीर्थस्थलों या पेरिसों के विकास पर जोर दे रहे हैं। उनके नेतृत्व में काशा विश्वनाथ या केदारनाथ मंदिरों का भी विस्तार किया गया है।

कांची कामकोटि पिर्ण क्या है?

4 शंकरचार्यों या 4 आदि पीठों के अलावा एक या शंकराचार्य का नाम सामने आया है। इससे कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि कौन हैं ये शंकराचार्य या पंचवा गणित। दावों की मानें तो तमिलनाडु के कांची कामकोटि पीठ भी एक महापीठ है या यहां के शंकराचार्य भी खुद को बाकी 4 शंकराचार्यों की तरह मानते हैं। हालांकी बाकी प्रमुख चारो पीठ ना तो इसे आदि पीठ मानते हैं या ना ही शंकराचार्य को शंकराचार्य की उपाधि देते हैं।

ऐसे में विपक्षी नेताओं ने भी मौका पाकर बीजेपी पर जामकर हमला बोला। उनके मुताबिक शंकरचार्यों ने इस समारोह में शामिल होने से पहले मन कर दिया क्योंकि ये एक अर्धनिर्मित मंदिर है। फिल्हाल जहां कुछ भी शंकरचार्य खुलकर इस समारोह पर आपत्ती कर रहे हैं, वहीं शंकराचार्य विजयेंद्र सारस्वत स्वामीगल का ये बयान बीजेपी के लिए एक बहुत बड़ा सहारा साबित हो सकता है।

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