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2019 में चीन (China) के चलते दुनिया भर में महामारी का कहर बरसा था, जोकि 2021 में भी जारी है. एक साल से ज्यादा हो गया है लेकिन अभी तक ये सवाल उठा हुआ है कि ये कोरोना वायरस (Coronavirus) आखिर आया कहां से है. इस बारे में दुनिया के टॉप वैज्ञानिकों के एक गुट का कहना है कि कोरोना वायरस के किसी लैब से फैलने की थ्योरी को तब तक सभी को गंभीरता से लेना चाहिए जब तक की यह गलत साबित न हो जाएं.

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आपको ये जानकार हैरानी होगी चीन के वुहान शहर से दुनियाभर में फैले कोरोना ने अबतक 30 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है. इसके अलावा 16.25 करोड़ लोग इसकी चपेट में आते हुए नजर आए हैं. कुल 18 लोग दुनिया के टॉप साइंटिस्ट की टीम में मौजूद है, जिन्होंने वायरस से जुड़ी अहम जानकारी शेयर की है.
इस वायरस के बारे में विस्तार से बात करते हुए स्टैनफोर्ड के माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डेविड रेलमैन के अलावा वैज्ञानिकों ने साइंस जर्नल में इस बात को रखा कि वायरस के किसी लैब और जेनेटिक स्पिलओवर दोनों से अचानक बाहर निकलने की थ्योरी को किसी भी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने ये तक बताया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की वायरस के उत्पत्ति के सिलसिले में की गई जांच से इस बात पर सही तरीके से गौर नहीं किया गया कि यह लैब से भी बाहर आ सकता है.

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इसके अलावा डब्ल्यूएचओ की टीम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि शायद हो सकता है कि वायरस चमगादड़ के जरिए इंसानों में आ गया हो. हालांकि लैब से बाहर आने वाली थ्योरी की संभावना नहीं है. टॉप वैज्ञानिकों की टीम ने इस बात की जानकारी दी कि हमें पर्याप्त जेटा मिलने तक प्राकृतिक और लैब दोनों से बाहर आने वाली थ्योरी को गंभीरता से लेना चाहिए. इतना ही नहीं कुछ देशों में तो एशियाई लोगों के खिलाफ अब विरोध की भावना तक देखने को मिल रही है.




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