Opinion: नीतिश कुमार का चला ऐसा तीर की अपने ही बंगले से बेदखल हुए बजरंगबली

आज बिहार की राजनीति के लिए बेहद खास दिन रहने वाला है.

  • 1720
  • 0

बिहार को समझना है तो बिहार के किसी चाय की दुकान पर 2 कप चाय पी लिजिए, पूरा ज्ञान आपको उसी दुकान पर प्राप्त हो जाएगा. कहा भी जाता है कि बिहार ज्ञान की जगह है. नालंदा विश्वविद्यालय हो या बोध गया, हर जगह ज्ञान ही ज्ञान है. खैर ज्यादा मुद्दे से नहीं भटकते हुए आपको बिहार की राजनीति के बारे में बताते हैं. मामला लोक जनशक्ति पार्टी का है. अभी हाल ही में इस पार्टी को बिहार में एक प्रमुख पार्टी के तौर पर देखा जा रहा था. इस पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासवान थे. अब इनके बेटे चिराग पासवान हैं, मगर पार्टी में सत्ता पलट होने के कारण उनके चाचा पशुपति कुमार पारस इस पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष है.

आज बिहार की राजनीति के लिए बेहद खास दिन रहने वाला है. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में तख्ता पलट करने और संसदीय दल का नेता बनने के बाद पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) पहली बार पटना पहुंच रहे हैं. पार्टी के संसदीय दल का नेता बनने के बाद अब लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर पशुपति पारस की ताजपोशी की तैयारी है. जानकारी के मुताबिक, पारस पार्टी के संसदीय दल का नेता बनने के बाद अब कोई मौका चूकना नहीं चाहते.


माना जा रहा है कि लोजपा की तरफ से दो-तीन दिन में पटना में ही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जाएगी. इस मीटिंग में पार्टी के सभी राष्ट्रीय और बिहार के पदाधिकारियों समेत राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों को बुलाया जाएगा. इस अहम बैठक में चिराग़ पासवान की जगह पशुपति पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की तैयारी होगी और उसके बाद चुनाव आयोग में जाकर भी एलजेपी नेता पशुपति पारस मिलेंगे.

{{read_more}}

इससे पहले सोमवार को ही लोक जनशक्ति पार्टी से बगावत करने वाले चिराग पासवान के चाचा और सांसद पशुपति कुमार पारस को सर्वसम्मति से लोकसभा में पार्टी संसदीय दल का नेता चुना गया. इसका फैसला मीटिंग में लिया गया है. मालूम हो कि चिराग के चाचा पशुपति समेत पांच सांसदों ने पार्टी से बगावत कर दी है. एलजेपी के बागी पांचों सांसद लोकसभा स्‍पीकर ओम बिरला से भी मिले. पशुपति कुमार पारस ने कहा है कि हमारी पार्टी में 6 सांसद हैं. 5 सांसदों की इच्छा थी कि पार्टी का अस्तित्व खत्म हो रहा है, ऐसे में नेतृत्व को परिवर्तित किया जाए. पारस का कहना था कि मैंने पार्टी को तोड़ नहीं, बल्कि बचा रहा हूं.

{{read_more_latest}} 

याद करें पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही मुकाबला एनडीए बनाम यूपीए हो रहा था, मगर असली कहानी तो चिराग पासवान गढ़ रहे थे. अप्रत्यक्ष रूप से वो जदयू को कमज़ोर कर रहे थे और भाजपा को मज़बूत. राजनीतिक जानकार उन्हें भाजपा का हनुमान कह रहे थे. उम्मीद के मुताबिक उन्होंने वही किया. मगर उसके बाद खेला करने का अधिकार नीतिश कुमार ने लिया. बिहार में एक कहावत है, नीतिश जब शांत रहते हैं तो और भी खतरनाक होते हैं. वो बिना हल्ला किए हुए शांत तरीके से वार करने में विश्वास रखते हैं. नीतिश कुमार ने ऐसा किया भी. चुपाचाप अपना काम कर दिया. मतलब नीतिश कुमार ने ऐसा तीर चलाया कि चिराग को उनके बंगले से ही निकाल दिया.


RELATED ARTICLE

LEAVE A REPLY

POST COMMENT