Kanshi Ram Jayanti: जानिए कैसे एक नारे ने 90 के दशक में बदल दिए समीकरण

दलितों के लोकप्रिय नेता और बसपा के संस्थापक कांशीराम की आज जयंती मनाई जा रही है. कांशीराम ने बामसेफ के नाम से दलित राजनीति की शुरुआत की थी.

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दलितों के लोकप्रिय नेता और बसपा के संस्थापक कांशीराम की आज जयंती मनाई जा रही है. कांशीराम ने बामसेफ के नाम से दलित राजनीति की शुरुआत की थी. लोग 90 के उस दौर को भी याद करते हैं, जब उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद 'मिले मुलायम कांशी राम, हवा उड गए जयश्री राम, बाकी राम झील राम असली राम कांशी राम' के नारे ने राजनीति के समीकरणों को उलट दिया था. 

कांशीराम का जन्म

कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को ब्रिटिश भारत के पंजाब के रूपनगर (आज के रोपड़ जिले) में हुआ था. 1956 में गवर्नमेंट कॉलेज, रोपड़ से बी.एससी की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्हें अम्मुनिशन फैक्ट्री, पुणे में क्लास वन ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया. जल्द ही उन्हें प्रशासन में जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा. डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती पर छुट्टी की मांग करने वाले एक दलित कर्मचारी द्वारा भेदभाव किए जाने के बाद, उन्होंने दलितों के लिए लड़ना शुरू कर दिया.

1981 में कांशीराम ने दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (DSSSS/DS4) की स्थापना की, जो एक सामाजिक संगठन था और राजनीतिक प्रभाव भी था. दलितों के उत्थान के लिए कांशीराम ने 14 अप्रैल 1984 को बाबासाहेब अम्बेडकर की जयंती पर बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की. उन्होंने छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा से पहला चुनाव लड़ा.

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