हिमालय के ऊपर मंडरा रहा बड़ा खतरा, जोशीमठ आफत पर केंद्र सरकार का बयान

पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि उत्तराखंड सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, जोशीमठ बहुत पुरानी भूस्खलन सामग्री के मोटे जमाव पर स्थित है. इस क्षेत्र में धीरे-धीरे धंसाव देखा जा रहा है.

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उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में आई तबाही से घरों में आ रही दरारों की वजह से समाचार की सुर्खियों में बना हुआ है. इस बीच केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि इस क्षेत्र की जमीन धीरे-धीरे खिसक रही है. हिमालय के कई हिस्सों का भूविज्ञान अस्थिर और गतिशील है जो भूधंसाव और भूस्खलन का कारण बन सकता है. बता दें कि जोशीमठ कस्बे में जमीन खिसकने के चलते अब तक 863 घरों में दरारें आ चुकी हैं. इनमें 181 घर असुरक्षित क्षेत्र में है. सैकड़ों परिवार अभी तक अपना घर छोड़ चुके हैं.

सरकार ने दिया जवाब

जोशीमठ भूधंसाव मामले को लेकर सरकार से संसद में कई सवाल पूछे गए थे. जिसका पिछले सप्ताह में सरकार ने जवाब दिया था. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MES) ने अपने लिखित उत्तर में संसद को बताया कि अस्थिर और गतिशील जियोलॉजी के चलते इस क्षेत्र में किसी भी बड़ी निर्माण परियोजना को शुरू करने से पहले पर्यावरण मंजूरी अनिवार्य है. हालांकि, मौजूदा भारी निर्माण कार्यों के दौरान क्या मापदंडों का उल्लंघन किया गया, इस पर मंत्रालय ने चुप्पी साधे रखी. 

धीरे-धीरे देखा जा रहा धंसाव; पृथ्वी विज्ञान मंत्री 

पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि उत्तराखंड सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, जोशीमठ बहुत पुरानी भूस्खलन सामग्री के मोटे जमाव पर स्थित है. इस क्षेत्र में धीरे-धीरे धंसाव देखा जा रहा है. 1976 में महेश चंद्र मिश्रा की कमेटी ने भी इसे रिपोर्ट किया था. मंत्री ने कहा कि मिश्रा समिति की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि जमीनी स्थिति की भार सह पाने क्षमता की जांच के बाद ही भारी निर्माण की अनुमति दी जानी चाहिए. मिश्रा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार ने साल दर साल क्या कदम उठाए, इसे लेकर आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सवाल पूछा था. इस पर मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया. मंत्रालय ने बताया कि जमीन खिसकने की घटनाओं के बाद तपोवन-विष्णुगढ़ बिजली परियोजना और हेलोंग मारवाड़ी बाईपास रोड समेत पूरे जोशीमठ क्षेत्र में सभी निर्माण गतिविधियों को रोक दिया गया है

 सभी एजेंसियों साथ में काम कर रही हैं

लिखित जवाब के मुताबिक राज्य और केंद्र सरकार सातों दिन और चौबीसों घंटे स्थिति पर नजर बनाए हुए है. इसके अलावा, जोशीमठ क्षेत्र में भू-धंसाव के प्रभाव को कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें संबंधित सभी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं.

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