भारत और पाक के बीच हुए इस युद्ध ने बदली थी परवीन बाबी की किस्मत, अधूरा रह गया था प्यार

बॉलीवुड एक्ट्रेस परवीन बाबी का तो हर कोई दीवाना है। लेकिन उनकी लाइफ का एक ऐसा किस्सा हमारे बीच में मौजूद है जिसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी।

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कहते है इश्क में सब कुछ जायज है लेकिन यदि हम ये कहे कि एक जंग की वजह से आपका इश्क ही अधूरा रह जाए तो आप क्या कहेंगे? दरअसल बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत और शानदार एक्ट्रेस परवीन बॉबी को इस बात का बिल्कुल भी अंदाज नहीं था कि 1971 में पाकिस्तान और भारत के बीच हुई जंग उनकी पूरी जिंदगी पलट कर रख देगी। दरअसल परवीन बाबी-ए लाइफ नाम की बायोग्राफी में करिश्मा उपाध्याय ने एक्ट्रेस की जिंदगी से जुड़े कुछ ऐ्रसे किस्सों को बताया है जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।

एक्ट्रेस परवीन ने अपने दूर के चचेरे भाई जालीम से सगाई कर ली थी जोकि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का प्लाइट था। उन्होंने अपने सर्दियों के कॉलेज ब्रेक के दौरान 1969 में ये खूबसूरत शुरुआत की थी। लोगों ने उस सगाई समारोह को मिनी वेडिंग के तौर पर भी जाना था। ऐसा इसलिए क्योंकि खूबसूरत परवीन बॉबी सेरेमोनियल चेयर पर जामील के बगल में बैठी हुई थी। जब वो अपने कॉलेज वापस लौटी तो वो उनके पास एक मोटी बंधी हुई एल्बम थी जिसमें उनकी सारी फोटोज मौजूद थी। दूसरे सोर्स के जरिए करिश्मा ने जिंदगी के उस खूबसूरत पल को शब्दों में उतारने की कोशिश की। उन्होंने लिखा कि वो शर्मीली और मुस्कुराती हुई और वह सुंदर और आत्मविश्वास से भरा हुआ।

परवीन को मिला थे परफेक्ट पति 

एक साल बाद जामील अहमदाबाद में था। परवीन अपने होने वाले पति को सभी को दिखाए बिना नहीं रह पा रही थी। ऐसे में वो जामील को अपने फेवरेट रेस्टोरेंट में लेकर गई। जहां जामील ने उनके दोस्तों का दिल अपनी यात्रा और मोबाइल कारनामों के किस्से के साथ जीता था। इससे ये साफ पता चला कि जामील एक परफेक्ट हसबैंड मेटिरल हैं।

ये वो समय भी था जब उस समय की प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी ईस्ट पाकिस्तान के 10 मिलियन शरणार्थियों के मामले को सुलझाने में लगी हुई थी। उन्हें परवीना बाबी से संबंधित चीजों के बारे में बिल्कुल भी नहीं पता था। वो उस वक्त जनरल फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ या सैम बहादुर के साथ बातचीत संभालने में बिजी चल रही थी। उन्होंने उन्हें पूरी आजादी, पर्याप्त समय, संसाधन जुटाने और कार्रवाई के लिए तैयार होने के लिए दिया।

युद्ध ने बदली तस्वीर

3 दिसंबर 1931 को वास्तविक युद्ध हुआ और उसके बाद इंदिरा गांधी अपनी बात रखती हुई लोकसभा और राज्यसभा में नजर आईं। उन्होंने 1971 में मार्च से अक्टूबर तक के महीने में सभी विश्व नेताओं को भारतीय बॉर्डर बन रही स्थिति से अवगत कराने का प्रयास तक किया। यहां तक की कई दौरे इस दौरान किए भी। उन्होंने जर्मनी से लेकर अमेरिका तक के लिए 21-दिवसीय दौरा तक किया। 

वहीं, जब विपक्ष के लोग बांग्लादेश को मान्यता प्राप्त करने के लिए अधिक जोर देने लगे तब इंदिरा गांधी ने अगस्त 1971 को एक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि देश में कुछ लोग ऐसे हैं जोकि बांग्लादेश के मुद्दे के जरिए राजनीतिक फायदा उठाने के लिए अपना प्रयास करते हुए दिखाई दे रहे हैं। लेकिन इस गैर जिम्मेदारान हरकत के लिए कोई अवसर नहीं है। कोई न कोई इस मामले को लेकर एक्शन लिया जाएगा लेकिन सारे पहलू के सवालों को अच्छे से देखने के बाद।

जब मां ने तोड़ी सगाई

पाकिस्तान को 1970 से 1971 तक गृह युद्धा का सामना करना पड़ता था। जहां देश के आबादी वाले पूर्वी हिस्से को देश के पश्चिमी क्षेत्र के नागरिक और रक्षा कर्मियों द्वारा नियंत्रित किया जाता था, ऐसा इसलिए क्योंकि वो बांग्ला भाषा, रीति-रिवाजों और उनकी विरासत को नापसंद करते थे। जब दो देशों में युद्ध हो रहा था जब परवीन बॉबी की मां ने सगाई तोड़ दी थी। इस बात की जानकारी परवीन को उनकी मां के पोस्टकार्ड के जरिए मिली थी। जब उन्होंने ये पोस्टकार्ड पढ़ा तो उनकी लाइफ पूरी तरह से बदल गई। उन्होंने पूरी रात रो कर गुजारी।

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