Manipur Vidhan: Sabha तनावग्रस्त मणिपुर में विधानसभा सत्र आज, कुकी समुदाय के 10 MLA नहीं होंगे शामिल

Manipur Assembly Session: मणिपुर में दो समुदायों के बीच बीच भड़की हिंसा में 170 लोगों की जान जा चुकी है और कई हजार लोग विस्थापित हो गए. ऐसे में विधानसभा सत्र काफी अहम माना जा रहा है.

तनाव ग्रस्त मणिपुर में विधानसभा सत्र आज
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Manipur Violence: मणिपुर में इस समय हालात कुछ सामान्य हैं. इस बीच राज्यपाल अनुसुइया उइके (Anusuiya Uike) ने एक दिन के लिए महत्वपूर्ण विधानसभा सत्र का आयोजन किया है. राज्य में हिंसा भड़कने के बाद से यह पहला विधानसभा सत्र बुलाया गया है. यह सत्र राज्य के हालात पर चर्चा करने के लिए बुलाया गया है. हालांकि, कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने ऐलान किया है वे लोग सत्र में शामिल नहीं होंगे. बता दें कि 3 मई को राज्य में हिंसा भड़की थी. जिसके चलते मानसून सत्र को आगे बढ़ा दिया गया था. 

कुकी संगठन ने सत्र को आगे बढ़ाने की मांग की

मणिपुर में दो समुदायों के बीच बीच भड़की हिंसा में 170 लोगों की जान जा चुकी है और कई हजार लोग विस्थापित हो गए. ऐसे में विधानसभा सत्र काफी अहम माना जा रहा है. हालांकि, कुकी संगठन ने सरकार से सत्र को आगे बढ़ाने की मांग की है. विधानसभा सत्र में सभी ग़ैर आदिवासी और नागा विधायकों के शामिल होने की उम्मीद है.

सीएम ने राज्यपाल से की थी सिफारिश 

सीएम एन बीरेन सिंह ने 21 अगस्त को राज्यपाल अनुसुइया उइके (Anusuiya Uike) को सत्र शुरु करने की सिफारिश की थी. 22 अगस्त को राजभवन में अधिसूचना जारी कर दी गई थी. बता दें कि आर्टिकल 174 (1) के मुताबिक, किसी भी सदन में दो सत्रों में छह महीने से ज्यादा का गैप नहीं होना चाहिए. मणिपुर में पिछला सत्र मार्च में हुआ था. ऐसे में छह महीने की डेडलाइन सितंबर में खत्म हो रही थी.

कुकी समुदाय के विधायक सत्र में नहीं होंगे शामिल 

हालांकि, कुकी समुदाय के विधायक ने विधानसभा सत्र में शामिल न होने की बात कही. बीते दिनों जनजातीय एकता समिति (सीओटीयू) और स्वदेशी जनजातीय नेता मंच (आईटीएलएफ) ने मणिपुर विधानसभा का सत्र बुलाने की निंदा करते हुए कहा कि मौजूदा समय में कुकी समुदाय के विधायकों का विधानसभा में भाग लेना अनुकूल नहीं है. 

कुकी समुदाय के विधायकों को मिलेगी पूरी सुरक्षा: CM बीरेन सिंह 

सीएम बीरेन सिंह ने कहा कि कुकी समुदाय के सभी 10 विधायकों को सुरक्षा दी जाएगी. इनमें दो मंत्री भी हैं. जिन्होंने पहाड़ी जिलों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की है. हालांकि राज्य में अभी छुट-पुट घटनाएं देखने को मिल रही है. 


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