मर्क एंड कंपनी का बड़ा खुलासा, जानिए क्या 2020 में लोगों के बीच आएगी कोविड की वैकसीन!

कोरोना वायरस को लेकर इस वक्त काफी ज्यादा लोगों की उम्मीदें बंधती हुई नजर आ रही है। लेकिन जानिए इसको लेकर मर्क एंड कंपनी ने क्या खुलासा किया है।

  • 1863
  • 0

फाइजर वैक्सीन विकासित करने वाली मर्क एंड कंपनी के सीईओ केन फ्रैजियर ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर टेडेल नीली के साथ एक इंटरव्यू में बताया कि बाजार में लाई गई सबसे तेज वैक्सीन दवा थी। वहीं, मम्प्स के खिलाफ मर्क को  काम करने के लिए करीब चार साल लग गए थे।

इबोला के लिए मर्क के टीके ने साढ़े पांच साल ले लिए थे और इसे केवल इसी महीने यूरोप में मंजूरी मिली थी। टीबी के टीके को 13 साल लग गए थे, रोटावायरस को 15 साल और चिकनपॉक्स को 28 साल। फ्रैजियर ने बताया कि टीके के विकास करने की प्रक्रिया में लंबा समय लगता है क्योंकि इसके लिए कठोर वैज्ञानिक मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। कोविड के मामले में हम खुद भी वायरस को नहीं समझ पाए या फिर वायरस कैसे इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है वो समझ पाए।

ये भी हो सकती है एक वजह

वैसे देखा जाए तो पहले के और आज के समय में काफी ज्यादा फर्क है। पहले जब एक महामारी उत्पन्न होती थी तो वो केवल एक ही देश की सीमा तक रह जाती थी। ऐसे में उस महामारी को अकेले कम फंड के साथ हरा पाना काफी मुश्किल हो जाता था। लेकिन कोरोना वायरस जैसे महामारी ने पूरी विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है। यहीं वजह है कि इस महामारी को हराने के लिए डब्ल्यूएचओ खुद फंड उपलब्ध करने के लिए आगे कदम उठा रहा है।

फ्रैजियर ने चेतावनी देते हुए कहा,"कोई भी यह सुनिश्चित करने के लिए नहीं जानता है कि इन वैक्सीन कार्यक्रमों में से कोई भी वैक्सीन का उत्पादन करेगा या नहीं। मुझे सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि जनता इतनी उत्सुक है, इसलिए वो पहली की तरह  सामान्य जिंदगी जीने के लिए बेताब हो रही है और हम पर जल्दी कुछ न कुछ करने के दबाव बना रही है।'

आगे फ्रैजियर ने कहा," अतीत में टीकों के कई उदाहरण हैं जो इम्यूजिन सिस्टम को उत्तेजित करते हैं लेकिन सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं। वहीं, दुर्भाग्य से ऐसे कुछ मामले हैं जहां उन्होंने न केवल सुरक्षा प्रदान की, बल्कि सेल पर आक्रमण करने के लिए वायरस की मदद की क्योंकि वो वैक्सीन अधूरे थे। ऐसे में इसके इम्युनोजेनिक गुणों के बारे में हमें बहुत सावधान रहना होगा।

सीईओ ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि आखिर में यदि किसी वैक्सीन का उपयोग अरबों लोगों में किया जाना है, तो यह जानना बेहतर है कि यह टीका कैसे काम करता है। इसका सबसे सही उदाहरण है स्वाइन फ्लू, जिसके टीके ने लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है। हमारे पास महामारी के बीच में जल्दी से टीके लगाने का एक बड़ा इतिहास नहीं है और हमें इसे ध्यान में रखना होगा।

कोरोना का टीका फिलहाल विकसित किए गए सभी टीकों में से सबसे ज्यादा आबादी को लगने वाला टीका साबित होगा। ऐसे में इस टीके को दुनिया भर में मुहैया करना और लगना बड़ी चुनौती होगी। पिछले 30 सालों में 7 टीके विकसित हुए है, जिनमें में से 4 टीके सबसे पहले मर्क एंड कंपनी ने ही विकसित किए हैं। इसके अलावा मर्क के सीईओ ने कहा, "हमें ऐसे राजनेताओं की जरूरत है जो लोगों को सच्चाई बताने की इच्छाशक्ति और ईमानदारी रखते हैं।

RELATED ARTICLE

LEAVE A REPLY

POST COMMENT