प्याज के गिरे दाम, किसान हुए निराश

प्याज के दाम किसानों को खून के आंसू रुला रहे हैं. किसानों को प्याज की फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है.

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प्याज के दाम किसानों को खून के आंसू रुला रहे हैं. किसानों को प्याज की फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है. आलम यह है कि मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले और आसपास के इलाकों में किसान अपनी फसल सड़क पर फेंक रहे हैं. मध्य प्रदेश के उज्जैन और आसपास के जिलों की सड़कों पर प्याज कचरे की ओर फेंक दिया गया है. इस मामले में किसानों का कहना है कि वे उन्हें दूर-दराज के बाजार तक ले जाने का खर्च भी नहीं उठा पा रहे हैं. इस कारण गांव के अलग-अलग इलाकों और सड़कों के आसपास प्याज फेंके गए हैं.

प्याज ले जाने का किराया

डांगवाड़ा गांव निवासी पवन सिंह ने बताया कि एक बीघे में प्याज की फसल बोने में करीब 25 हजार रुपये का खर्च आता है. इसमें जुताई, बीज, सिंचाई, ट्रैक्टर का किराया, डीजल, मजदूरी शामिल है. एक बीघे में एक के बाद एक करीब 40 से 50 क्विंटल प्याज उग जाती है. अभी थोक बाजार में प्याज 3 रुपये किलो बिक रहा है. इसके अलावा कई मंडियों में दाम और भी कम हैं. ऐसे में किसानों को प्याज ले जाने का किराया भी नहीं मिल रहा है. किसान अपने खेतों से प्याज निकालकर सड़क किनारे फेंक रहे हैं.

किसानों का मकसद

किसान रघुनाथ सिंह के मुताबिक गांव में अगर प्याज कचरे के ढेर में फेंक दिया जाता है तो गांव वाले आपत्ति जताते हैं. प्याज की महक हर तरफ फैल जाती है, इसलिए प्याज सड़क पर इधर-उधर फेंक दी जाती है. कुछ लोग इस प्याज को उठाकर ले जाते हैं. यह उन्हें उपयोगी बनाता है. सड़क किनारे प्याज रखने वाले किसानों का मकसद यह है कि यह जरूरतमंद लोगों के काम आए.


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