प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहीं बड़ी बात, ये आतंकी नहीं जिन्हें कील कांटों से रोका जाए

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने बड़ी बात कहीं है प्रियंका गांधी ने किसानों के दिल्ली चलो मार्च से पहले राष्ट्रीय राजधानी की सीमा के पास कुछ स्थानों और सड़कों पर कांटे लगाने की खबर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है।

प्रियंका गांधी
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इस समय किसानों के आंदोलन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ कई राज्यों में किसान दिल्ली आने की तैयारी कर रहे है जिसे लेकर दिल्ली पुलिस पूरी तैयारी में है किसानों को दिल्ली में न घुसने देने के लिए बॉर्डर पर कील, कांटे और बैरिकेड लगा रही है। इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने बड़ी बात कहीं है प्रियंका गांधी ने किसानों के 'दिल्ली चलो मार्च' से पहले राष्ट्रीय राजधानी की सीमा के पास कुछ स्थानों और सड़कों पर कांटे लगाने की खबर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है।

अधिकारी ने दिया सवाल का जवाब

अधिक जानकारी के लिए बता दें, कांग्रेस महासचिव ने किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए सड़कों पर बिछाई गई कीलें और कई अवरोधक लगे होने का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए सवाल किया है कि, किसानों के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है ? एक अधिकारी ने जवाब दिया कि, 13 फरवरी को किसानों के मार्च को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिले में दंड संहिता की धारा 144 के तहत लागू किया गया है, जो बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाती है। 

किसानों के रास्ते में कील कांटे

प्रियंका गांधी वाड्रा ने पोस्ट करके कहा है कि, किसानों के रास्ते में कील-कांटे बिछाना अमृतकाल है या अन्यायकाल ? इसी संवेदनशील एवं किसान विरोधी रवैये ने 750 किसानों की जान ली थी। किसानों के खिलाफ काम करना,  उनको आवाज भी ना उठाने देना कैसी सरकार का लक्षण है ? प्रियंका गांधी ने आगे कहा है कि, किसानों से किया वादा पूरा नहीं किया, ना एमएसपी का कानून बनाया, न किसानों की आय दुगनी हुई ऐसे में किसान देश की सरकार के पास नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे ? 

किसान भाइयों की तरफ से अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले कानून की मांग के लिए 13 फरवरी को मार्च करने का ऐलान किया गया है, यह उन शर्तों में से एक है जो किसानों ने 2021 में केंद्र के तीन कृषि कानून के खिलाफ अपना आंदोलन वापस लेने पर सहमति व्यक्त करते समय निर्धारित की थी। बता दें कि, इन किसान संघों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान है।

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