देश में बिकेंगे दो निजी बैंक, कानून बदलने की प्रक्रिया तेज करेगा केंद्र

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल कहा था कि केंद्र कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करना चाहता है.

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केंद्र दो राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करता है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने बुधवार को केंद्र के एक सूत्र के हवाले से बताया. केंद्र की मोदी सरकार ने पहले राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों में निजी निवेश का मार्ग प्रशस्त करने के लिए 'बैंकिंग विनियमन अधिनियम' में संशोधन किया था. सूत्रों के मुताबिक केंद्र संसद के आगामी मानसून सत्र में इस संबंध में एक विधेयक पारित करना चाहता है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल कहा था कि केंद्र कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करना चाहता है. इसलिए, 1970 और 1980 के बैंक राष्ट्रीयकरण अधिनियमों में संशोधन किया जाएगा और 1949 के बैंक नियंत्रण अधिनियम में संशोधन किया जाएगा. वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, प्रक्रिया शुरू हो गई है. सरकार ने 'बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट' का मसौदा भी तैयार करना शुरू कर दिया है. सब कुछ ठीक रहा तो संशोधन को मानसून सत्र में पारित कर दिया जाएगा. बेशक, विपक्ष के बाधित होने की अच्छी संभावना है. हालांकि बहुमत के कारण सरकार को इस कानून को पारित करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.

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संशोधन संसद में पारित हो गया है और राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों के निजीकरण पर कोई रोक नहीं होगी. इसके बाद ही सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होगी. शुरुआत में दो सरकारी बैंकों को भी विनिवेश के लिए सूचीबद्ध किया गया है. जिन दो बैंकों का निजीकरण किया जाएगा, उनके नाम की घोषणा केंद्र द्वारा की जानी बाकी है. सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार ने शुरुआत में निजीकरण के लिए चार मध्यम आकार के बैंकों को चुना. निजीकरण के लिए जिन चार बैंकों को प्रारंभिक सूची में रखा गया था, वे हैं बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बैंक ऑफ महाराष्ट्र), बैंक ऑफ इंडिया (बैंक ऑफ इंडिया), इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया. बाद में नीति आयोग ने इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के ज्यादातर शेयर बेचने का प्रस्ताव रखा. नीति आयोग के प्रस्ताव पर मोदी सरकार आगे बढ़ सकती है.

यही अंत नहीं है, सरकार भी टेट के स्वामित्व वाली कंपनी बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है. सूत्रों का दावा है कि केंद्र के पास बीपीसीएल में सिर्फ 52.3 फीसदी हिस्सेदारी ही बेची जाएगी. इससे पहले मोदी सरकार ने BPCL के शेयर बेचने की पहल की थी. शुरुआत में तीन कंपनियों ने बीपीसीएल के शेयर खरीदने में दिलचस्पी दिखाई. लेकिन अंत में, केवल एक कंपनी दौड़ में बच जाती है, सूत्रों का दावा है.

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