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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक पहुंचना होगा और आसान, पीएम नरेंद्र मोदी दिखाएंगे 8 ट्रेनों को हरी झंड़ी

सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति तक सुगमता से जाने के लिए रेल कनेक्टिविटी से जुड़ा बड़ा काम हुआ है। जिसको लेकर सभी भारतीय काफी खुश हैं।

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By Deepakshi | खबरें - 17 January 2021

अब आप आसानी से गुजरात में मौजूद सबसे ऊंची इमारत स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को आसानी से देख पाएंगे। दरअसल इस काम को आसान करने का जिम्मा भारतीय रेलवे उठाता हुआ नजर आया है। सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति तक सुगमता से जाने के लिए रेल कनेक्टिविटी का ये काम हुआ है। 

इस नेटवर्क के जिन अलग-अलग शहरों को गुजरात के केवड़िया से जोड़ा गया है वो- वाराणसी, दादर, अहमदाबाद, हजरत निजामुद्दीन, रीवा, चेन्नई और प्रतापनगर है। प्रधानमंत्री खुद ऐसा काम करने वाली आठ नई ट्रेनों को आज वर्चुअल हरी झंड़ी दिखाने वाले हैं। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए चोड़-केवड़िया आमान परिवर्तन नवनिर्मित प्रतापनगर-केवड़िया खंड के विद्युतीकरण और दभोई, दभोई-चांचोड़ आमान परिवर्तन, चांचोड़ और केवड़िया स्टेशनों की नई इमारतों का उद्धाटन भी किया जाएगा।

इस खास मौके पर रेल मंत्री पीयूष गोयल और गुजरात के सीएम विजय रुपाणी भी उपस्थित रहेंगे। सामने आई जानकारी की माने तो रेलवे स्टेशनों को आधुनिक चीजों से युक्त किया गया है। इसके अलावा आपको ये जानकार खुशी होगी कि केवड़िया देश का पहला ग्रीन  बिल्डिंग सर्टिफिकेट वाला रेलवे स्टेशन है।

इस योजना के चलते भारतीय रेलवे के मैप पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को जगह प्राप्त हुई है। इससे कहीं न कहीं केवड़िया के लोगों को भी फायदा होगा। इस बात की हम आपको जानकारी दे दे कि अब तक इस प्रतिमा के दर्शन के लिए पर्यटकों को वडोदरा भरूच और अंकलेश्वर रेलवे स्टेशन पहुंचना होता था।

 स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की इन खासियतों पर डालें एक नजर:

1- इस मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और ये इतनी लंबी और बड़ी है कि इसे आप 7 किलोमीटर की दूरी से भी देख सकते हैं।

2- आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इस मूर्ति में दो लिफ्ट लगी हुई है जिसके जरिए आप सरदार पटेल की छाती पर पहुंच सकते हैं। 

3- इस मूर्ति के काम यानी कंस्ट्रक्शन को चार हिस्सों में पूरा किया गया- पहला मॉक-अप, दूसरा 3डी, तीसरा स्कैनिंग तकनीक, चौथा कंप्यूटर न्यूमैरिकल कंट्रोल प्रोडक्शन तकनीक।

4- ये मूर्ति इतनी मजबूत है कि 180 किमी प्रति घंटी की रफ्तार होने पर भी ये हवा में स्थिर ही खड़ी रहेगी।

5- मूर्ति के निर्माण के लिए अक्टूबर 2014 मेंलार्सन एंड टूब्रो कंपनी को ठेका मिला था। निर्माण में इसके 3000 करोड़ रूपए खर्च हुए थे।

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