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अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को उस समय के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के शासन में लाखों की संख्या में कारसेवकों ने विवादित ढांचे का ध्वंस कर दिया था और इस हालात में भी कल्याण सिंह ने कारसेवकों पर गोली नहीं चलवाई जिस कारण उन्हें अपनी सरकार गंवानी पड़ी थी। इस विवाद में पड़ने के बाद उनके राजनीतिक जीवन मे कई उठापठक आए लेकिन कल्याण सिंह ने अपना मुद्दा नहीं छोड़ा। उन्होंने राम मंदिर और विवादित ढांचा विध्वंस पर स्टैंड कभी नहीं बदला।
बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि इस मामले में किसी की कोई गलती नहीं है। अधिकारियों ने मेरे आदेश का पालन किया था। उन्होंने इसी सभा में खुलकर कहा था कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने की जो सजा देनी है मुझे दे दो। जांच बैठाना है मेरे ऊपर बैठाओ लेकिन इस मामले में अधिकारियों का कोई दोष नहीं। यहां तक कि उन्होंने कहा था कि उन्हें मस्जिद गिराए जाने का कोई अफसोस नहीं है।
उन्होंने बताया था कि जब कार सेवक अयोध्या पहुंचे तक उस समय के तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री शंकरराव चह्वाण का पोन उनके पास आया था। शंकरराव चह्वाण ने कल्याण सिंह से कहा था कि कारसेवक मस्जिद के ऊपर चढ़ गए हैं। तब कल्याण सिंह ने कहा था कि मैं आपको ताजा जानकारी दे रहा हूं कारसेवक मस्जिद में चढ़े नहीं है बल्कि वो मस्जिद को गिरा रहे हैं। कल्याण सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए बताया था कि मैंने उनसे कहा कि ये बात रिकॉर्ड कर लो चह्वाण साहब कि मैं गोली नहीं चलवाऊंगा।




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