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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो को अपने नए मिशन में बड़ी सफलता हाथ लगी है। बता दें कि, यह स्पेडेक्स मिशन पूरी तरह से कामयाब रहा है। इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट भेजा गया था। इतना ही नहीं यह अंतरिक्ष में जाने वाले दो सैटेलाइट का चौथा ट्रायल था जो सक्सेसफुल रहा है। अपने मिशन को लेकर इसरो ने भी यह जानकारी दी है कि वैज्ञानिकों का यह प्रयास पूरी तरह से सफल रहा है और सभी को कामयाबी मिली है। इतनी बड़ी सफलता के बाद अब भारत ऐसा चौथा देश बन गया है जिसमें यह सफलता हासिल की है। अभी भविष्य में इंटरप्लेनेटरी मिशन, मानव मिशन होने वाला है जिसमें यह काम आएगा।
इसरो का डोटिंग प्रोसेस
- इसरो के डॉटिंग इन प्रक्रिया की बात करें तो इस दौरान दो सैटेलाइट अंतरिक्ष में जाने के बाद एक दूसरे के पास आ जाते हैं और एक साथ जुड़ जाते हैं।
- यह एक तरह की जटिल प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष अभियानों के लिए किया जाता है।
- इस मिशन का यह मकसद होता है कि दो उपग्रहों को एक साथ जोड़ दिया जाए और डाटा कलेक्ट किया जाए। इतना ही नहीं पावर प्रक्रिया को जोड़ना और मिशन को अंजाम देना भी इसका मकसद है।
- स्पेडेक्स मिशन के समय में अंतरिक्ष यान एक दूसरे के पास आते हैं और इसे जोड़ा जाता है ताकि किसी तरह का नुकसान ना हो।
स्पेडेक्स मिशन के बारे में
इस मिशन के बारे में अगर सीधे तौर पर समझा जाए तो दो सैटेलाइट होते हैं। इनमें से पहले चेसर कहलाता है और दूसरा टारगेट होता है। चेसर सैटेलाइट टारगेट को पकड़ के डॉटिंग करता है। इस दौरान सैटेलाइट का वजन 220 किलो हो जाता है। इस तरह सैटेलाइट को पीएसएलवी के तहत लॉन्च किया जाता है। 30 दिसंबर को इसरो ने श्रीहरिकोटा से रात को 10:30 इसे लॉन्च किया था।
इस दिन भी हुई थी कोशिश
इस मिशन को पूरा करने के लिए 12 जनवरी को इसरो ने एक कोशिश की थी लेकिन नाकामयाब रहा था। स्पेस डोटिंग एक्सपेरिमेंट प्रोजेक्ट अपने लक्ष्य के करीब तो पहुंच गया था लेकिन बिशनपुर नहीं हो पाया था। सेटेलाइट की दूरी 15 मीटर से 3 मीटर पर थी इसलिए मिशन सक्सेसफुल नहीं हो पाया था।




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