Hindi English
Login
Image
Image

Welcome to Instafeed

Latest News, Updates, and Trending Stories

हल्द्वानी में सड़कों पर शाहिनबाग दिखा नजारा, जानिए क्या है पूरा मामला ?

हल्द्वानी के जिस इलाके में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण बताया जा रहा है, वो करीब 2200 मीटर लंबी रेलवे लाइन का क्षेत्र है. इस 2200 मीटर लंबी रेलवे लाइन के आसपास 800 फीट चौड़ाई तक की जमीन पर अतिक्रमण है.

Advertisement
Instafeed.org

By विपिन यादव | खबरें - 05 January 2023

उत्तराखंड के रेलवे की जमीन पर हक किसका है इस सवाल को लेकर जंग चल रही है. ये जंग रेलवे और वहां पर रहे लोगों के बीच चल रही है जो दावा कर रहे हैं कि यहां पर पिछले कई दशकों से रह रहे हैं. यहां के कुछ लोग यह भी कहना है कि वो यहां पर 100 साल भी ज्यादा समय से रह रहे हैं. हल्द्वानी में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4,365 परिवारों को बेदखल करने की तैयारी की जा रही है. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 7 दिनों के अंदर अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था. इसी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी गुरुवार को अहम सुनवाई करने वाला है. 

50 हजार से ज्यादा लोगों का टूटेगा आशियाना

सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण सु्प्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.  हल्द्वानी (Haldwani) के बनभूलपुरा इलाके में करीब 50,000 लोग रहते हैं. अतिक्रमण हटेगा, बस्ती उजड़ेगी या सुप्रीम कोर्ट मानवीय आधार पर उन्हें रहने की इजाजत देगा, इस पर संशय की स्थिति बनी हुई है. 

2200 मीटर लंबी 800 फीट चौड़ाई तक की जमीन पर अतिक्रमण 

हल्द्वानी के जिस इलाके में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण बताया जा रहा है, वो करीब 2200 मीटर लंबी रेलवे लाइन का क्षेत्र है. इस 2200 मीटर लंबी रेलवे लाइन के आसपास 800 फीट चौड़ाई तक की जमीन पर अतिक्रमण है. अतिक्रमण के नाम इस क्षेत्र में 3 सरकारी स्कूल, 11 प्राइवेट स्कूल, 10 मस्जिद, 12 मदरसे,1 सरकारी स्वास्थ्य केंद्र, 1 मंदिर और 1 पानी की टंकी है. रेलवे की जिस जमीन पर अतिक्रमण है, उसकी जद में 7 बस्तियां हैं. जिनमें ढोलक बस्ती, गफूर बस्ती, किडवई नगर, लाइन नंबर 17, नई बस्ती, इंद्रा नगर छोटी रोड और इंद्रा नगर बड़ी रोड का नाम भी शामिल हैं.

रेलवे का तर्क

रेलवे ने अपने पक्ष में वर्ष 1959 का नोटिफिकेशन, वर्ष 1971 का रेवेन्यू रिकॉर्ड और वर्ष 2017 का लैंड सर्वे दिखाकर साबित किया कि ये जमीन उनकी है. हाईकोर्ट में जब ये साबित हो गया कि जमीन रेलवे की है, तो उसके बाद जमीन खाली करने के आदेश दे दिए गए. यहां रहने वाले लोगों को तब तक केस में पार्टी नहीं बनाया गया था. लोगों ने जमीन खाली करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट से इन लोगों का भी पक्ष सुनने के लिए कहा. लंबी सुनवाई के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने सबूतों के आधार पर माना कि रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है. 

सोशल मीडिया पर नजर आ रहा लोगों का आक्रोश

हल्द्वानी प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर उबाल देखने को मिल रहा है. कुछ लोग इसे जायज ठहरा रहे हैं तो कुछ लोग पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि जिस इलाके में दशकों से लोग बसे हुए हैं, उन्हें एक झटके में बाहर क्यों किए जाने की तैयारी की जा रही है. वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि अतिक्रमण वर्षों से लोगों ने जारी रखा था, अब उसे हटाया जा रहा है तो बेवजह विपक्षी दल हंगामा कर रहे हैं.

रेलवे के पास कार्रवाई का अधिकार

रेलवे एक्ट 1989 के सेक्शन 147 के तहत, रेलवे अपनी कब्जाई गई ज़मीन को खाली करवा सकता है. जो इस काम में बाधा डालेगा, उस पर 6 महीने की कैद या जुर्माना लग सकता है. पीपीई एक्ट 1971 के तहत भी रेलवे अपनी जमीन खाली करवा सकता है.

पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले

इस तरह के कई मामले पहले भी आ चुके हैं, जिसमें रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण किया गया और कोर्ट के आदेश पर उसे हटाया भी गया है. 2021 में गुजरात के सूरत में भी ऐसा ही एक मामला था. इस मामले में भी अतिक्रमण करने वाले लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. कोर्ट ने अवैध कब्जा खाली कराने का आदेश दिया, और सरकार को ये सलाह दी कि जो लोग हटाए जा रहे हैं, उनको तुरंत राहत देने के लिए पीएम आवास योजना के तहत घर उपलब्ध करवाने चाहिए.


Advertisement
Image
Advertisement
Comments

No comments available.