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SAD (शिरोमणि अकाली दल) ने
आखिकार सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इस्तीफा स्वीकार करने के
बाद SAD कार्यसमिति ने 1 मार्च को
नया सदस्या चुनने के लिए चुनावी घोषणा करी।
ज्ञानी रघबीर सिंह अकाल तख्त के नए जत्थेदार ने 6 जनवरी को बादल का त्याग पत्र
स्वीकार करने के निर्देश का हवाला देते हुए शिअद से 2 दिसंबर के आदेश को जल्द ही
लागू करने को कहा था। 2007 से 2017 तक पंजाब में शिअद और उनकी सरकार द्वारा की गई
गलतियों के लिए बादल और अन्य नेताओं को धार्मिक सजा सुनाई और पार्टी से इस्तीफा
देने का आदेश भी दिया था।
बादल ने धार्मिक सजा काटी
और पिछले साल 16 नवंबर को पार्टी से इस्तीफा ले लिया हांलकि पार्टी ने उनका
इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। पार्टी ने उन्हें फिर से सोचने को कहा।
सुखबीर सिंह बादल ने
कहा कि 5 साल पहले शिअद के प्रतिनिधि सत्र में मुझे अकाली दल की सेवा करने की बड़ी
जिम्मेदारी दी गई थी। पिछले 5 सालों में पार्टी के लिए जो कुछ भी कर सकता था मैंने
किया। मैं उन कार्यकर्ताओं और नेताओं को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मेरा साथ
दिया।
उन्होंने
आगे कहा अब 5 साल बीत चुके हैं। जब मुझे अकाल तख्त साहिब से जाना था, तो मैंने एक विनम्र सिख के रुप में जाने का मन बनाया था। लेकिन कार्यसमिति
को नए सिरे से सदस्यता अभियान शुरु करना चाहिए और उसके बाद नए अध्यक्ष का चुनाव
किया जाना चाहिए।
शिअद के प्रमुख नेता
दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि बादल खुद बैठक में शमिल हुए क्योंकि उनका इस्तीफा लंबित
था। उन्होंने आगे कहा कि बादल ने खुद कहा कि उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाना
चाहिए।
30 अगस्त 2024 को सिखों
की धार्मिक पीठ अकाल तख्त मे बादल को तनखैया घोषित किया था। 2008 में बादल शिहद
पार्टी में शामिल हुए। 2012 के उपचुनाव में शिहद की जीत हुई। लेकिन 2017 में 117
सीटों में से सिर्फ 15 सीटे जीती और 2022 के उपचुनाव में 3 सीटे जीत जाने के बाद
उनकी पार्टी के नेताओं ने ही सवाल उठाने शुरु कर दिए पिछले साल शिहद केवल 13 में
से 1 सीट ही जीत पाई थी।




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