माइनिंग में आज भी इंजीनियरिंग की भारी कमी, जानें कैसे करें कोर्स

इंडिया में खनिज संपदा की भरमार है. निकिल व लौह अयस्क से लेकर विभिन्न धातुओं, पेट्रोलियम व सोने एवं हीरे से भरपूर खदानें देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में मौजूद हैं.

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इंडिया में खनिज संपदा की भरमार है. निकिल व लौह अयस्क से लेकर विभिन्न धातुओं, पेट्रोलियम व सोने एवं हीरे से भरपूर खदानें देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में मौजूद हैं. इन खनिजों को निकालने में सबसे अहम भूमिका ट्रेंड माइनिंग इंजीनियर्स की होती है. देश में ऐसे इंजीनियर्स की आज भी भारी कमी है. यही कारण है कि इस फील्‍ड में हमेशा डिमांड बनी रही है. माइनिंग इंजीनियर गहरी खानों से खनिज को वैज्ञानिक तौर तरीकों से निकालने, एकत्रण, प्रसंस्करण और शुद्ध करने का कार्य करते हैं. आसान शब्‍दों में हम कह सकते हैं कि माइनिंग इंजीनियरिंग के तहत पर्यावरण के अनुकूल तकनीक से पृथ्‍वी के अंदर मौजूद खनिजों का खनन और शोध किया जाता है. इस क्षेत्र में युवाओं के लिए अवसर की कमी नहीं है.

कोर्स व योग्‍यता

माइनिंग इंजीनियरिंग से संबंधित कोर्स के लिए 12वीं कक्षा के बाद जेईई, जेईई मेंस, जेईई एडवांस व कैट जैसी प्रवेश परीक्षाएं पास करनी होती हैं. इसके बाद छात्र माइनिंग इंजीनियरिंग के कोर्स में दाखिला ले सकते हैं. माइनिंग इंजीनियर में डिप्लोमा इन माइनिंग इंजीनियरिंग, डिप्लोमा इन माइनिंग एंड सर्वेइंग, बेचलर ऑफ माइनिंग इंजीनियरिंग, बेचलर ऑफ माइनिंग इंजीनियरिंग, बीई एंड बीटेक माइनिंग इंजीनियरिंग जैसे कोर्स उपलब्‍ध हैं.

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