बाबरी की बरसी पर मथुरा की शाही ईदगाह में हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान, अलर्ट पर प्रशासन

हिंदू महासभा ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद में हनुमान चालीसा पाठ और लड्डू गोपाल की प्रतिमा को स्थापित करने का ऐलान किया है. हिंदू महासभा के ऐलान के बाद के से पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था बड़ा दिया गया है.

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6 दिसंबर यानी बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर हिंदू महासभा ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद में हनुमान चालीसा पाठ और लड्डू गोपाल की प्रतिमा को स्थापित करने का ऐलान किया है. हिंदू महासभा के ऐलान के बाद के से पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था बड़ा दिया गया है. मथुरा में लड्डू गोपाल पर जल चढ़ाने की जिद कर रहे युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. 

धारा 144 लागू 

हिंदू महासभा के मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद में हनुमान चालीसा पाठ करने का ऐलान करने के बाद धारा 144 लगा दी गई है. इस दौरान किसी के भी जमा होने पर रोक लगा दी गई है .श्री कृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह के पास यातायात प्रतिबंध कर दिया गया है सिर्फ स्कूल बस और एंबुलेंस को छूट दी गई है. मथुरा शहर को 2 सुपर जोन, 4 जोन और 8 जोन सेक्टर में बांट दिया गया है. सुपर जोन के प्रभारी आईपीएस अधिकारी तैनात रहेंगे, जबकि जोन के प्रभारी अपर पुलिस अधीक्षक और सेक्टर में सीओ तैनात होंगे.

अयोध्या से मथुरा तक कड़ी सुरक्षा

बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर अयोध्या से मथुरा तक में सुरक्षा और बढ़ा दी गई है और बाहर से आने वाली गाड़ियों की चेकिंग की जा रही है. अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है. अयोध्या में होटल और धर्मशालाओं की चेकिंग की जा रही है. यूपी पुलिस के साथ केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों की तैनाती की गई है.

मथुरा प्रशासन ने जिले में बिना अनुमति के किसी भी राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक संगठन के पांच या पांच से ज्यादा लोगों के जमा होने, धरना देने, प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी है. ये रोक अगले साल 28 जनवरी तक जारी रहेगी.

क्या है बाबरी विध्वंस मामला?

आपको बता दे कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिरा दिया और वहां एक अस्थाई मंदिर बना दिया था. उसी दिन दो एफआईआर दर्ज की गई थी. 

पहली एफ़आईआर - संख्या 197/1992 में तमाम कारसेवकों के ख़िलाफ़ दर्ज की गई थी जिसमें उन पर डकैती, लूट-पाट, चोट पहुंचाने, सार्वजनिक इबादत की जगह को नुक़सान पहुंचाने, धर्म के आधार पर दो गुटों में शत्रुता बढ़ाने जैसे आरोप लगाए गए थे.

दूसरी एफ़आईआर- 198/1992 बीजेपी, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और आरएसएस से जुड़े उन 8 लोगों के ख़िलाफ़ थी जिन्होंने रामकथा पार्क में मंच से कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था.




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