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दुनिया भर में कोयले की किल्लत के बीच भारत में कोयला संकट भी गहराने लगा है. देश के कई बिजली संयंत्रों में सिर्फ 3 से 5 दिन के कोयले का स्टॉक बचा है. हालात को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि यह संकट और गहरा सकता है. कोयला संकट के कारण बिजली उत्पादन में कमी को लेकर राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने केंद्र सरकार से शिकायत की है.
कोयले से बिजली कैसे बनती है?
सबसे पहले खदान से आने वाले कोयले के छोटे-छोटे टुकड़ों को बारीक पीसकर पाउडर बनाया जाता है.
इस कोयले का उपयोग बॉयलर में पानी गर्म करने के लिए किया जाता है. जब पानी गर्म किया जाता है, तो यह उच्च दबाव वाली भाप में बदल जाता है, जिसका उपयोग टरबाइन को घुमाने के लिए किया जाता है.
ये टर्बाइन भी वाटर टर्बाइन की तरह होते हैं. अंतर केवल इतना है कि इन टर्बाइनों को घुमाने के लिए भाप का उपयोग किया जाता है.
ये टर्बाइन जनरेटर से जुड़े होते हैं. टरबाइन के घूमने से जनरेटर में एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है और इससे बिजली उत्पन्न होती है.




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