Doller vs Rupees: रुपए का हुआ बुरा हाल, जानिए क्या है वजह

अमेरिका की महंगाई की जंग में भारतीय करेंसी बुरी तरह पिट रही है. आज रुपया डॉलर के मुकाबले 81.23 के स्तर तक लुढ़क गया. हालांकि कारोबार के दौरान इसमें कुछ मजबूती दिखाई दी

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अमेरिका की महंगाई की जंग में भारतीय करेंसी बुरी तरह पिट रही है. आज रुपया डॉलर के मुकाबले 81.23 के स्तर तक लुढ़क गया. हालांकि कारोबार के दौरान इसमें कुछ मजबूती दिखाई दी और अंत में इस सप्ताह के आखिरी कारोबारी सत्र में 80.99 के स्तर पर बंद हुआ. साप्ताहिक प्रदर्शन की बात करें तो रुपये का प्रदर्शन पिछले 1.5 साल में सबसे कमजोर रहा है. डॉलर के मुकाबले चीनी युआन भी 28 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है. भारतीय मुद्रा में इस गिरावट का असर शेयर बाजार पर भी दिखा.

भारतीय शेयर बाजार नेगेटिव जोन में

आज सेंसेक्स 1033 अंक, निफ्टी 305 अंक और निफ्टी बैंक 1165 अंक यानी 2.87 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ. भारतीय शेयर बाजार नेगेटिव जोन में प्रवेश कर चुका है और मंदड़ियों का बोलबाला है. यह लगातार दूसरा हफ्ता है जब सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई है. सेंसेक्स और निफ्टी पिछले सप्ताह के उच्चतम स्तर के मुकाबले 4-4 फीसदी गिर चुके हैं. वहीं, बैंक निफ्टी में 6 फीसदी की गिरावट आई है.

अमेरिकी केंद्रीय बैंकों फेडरल

विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि यूक्रेन में मुद्रास्फीति और बढ़ते तनाव को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंकों फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा दरों में वृद्धि के कारण निवेशक जोखिम लेने से हिचकिचा रहे हैं. इसके अलावा विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती, घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का असर रुपये पर भी पड़ रहा है.

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की है. वहीं, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी गुरुवार को ब्याज दर को बढ़ाकर 2.25 फीसदी कर दिया. बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दर में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. स्विस नेशनल बैंक ने भी ब्याज दर में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि की है. माना जा रहा है कि इसी महीने होने वाली रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में वह रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है. इससे रुपये को कुछ सपोर्ट मिलेगा.

डॉलर इंडेक्स

कोटक सिक्योरिटीज के तकनीकी अनुसंधान के उपाध्यक्ष अमोल आठवले ने कहा कि फेड के फैसले के बाद, निवेशक स्टॉक को डंप कर रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव पड़ रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव से सेंटीमेंट भी कमजोर हुआ है. यही वजह है कि निवेशक डॉलर में जमा कर रहे हैं, जिससे डॉलर इंडेक्स 112 को पार कर गया है.

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