मुलायम सिंह के पास चुनाव लड़ने के लिए नहीं थे पैसे, चंदे से खरीदी थी पुरानी एंबेसडर

60 के दशक में मुलायम सिंह यादव भारतीय समाजवादी राम मनोहर लोहिया के बारे में जाना और पढ़ा, उनसे प्रेरित होकर राजनीति में आने का मन बना लिया.

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सपा सरंक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया. वे 82 साल के थे. मुलायम सिंह यादव को यूरिन संक्रमण, ब्लड प्रेशर की समस्या और सांस लेने में तकलीफ के चलते 2 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनकी तबीयत लगातार नाजुक बनी हुई थी. 

राजनीति करियर की शुरुआत

समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा है. देश की राजनीति बड़े-बड़े को मात देने वाले औऱ देश की राजनीति में नेता जी के नाम से पहचाने जाने वाले धरती पुत्र  मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था. उनके पिता सुघर सिंह यादव एक किसान थे. मुलायम सिंह 1967  में पहली बार विधायक के रुप में चुने गए थे. हालांकि, राजनीतिक में आने से पहले वह कुश्ती लड़ते थे. उनका इरादा पहलवान बनने का था. 60 के दशक में उन्होंने भारतीय समाजवादी राम मनोहर लोहिया के बारे में जाना और पढ़ा, उनसे प्रेरित होकर राजनीति में आने का मन बना लिया. समाजवादी विचार से वह इस कदर प्रेरित हुए थे कि वह अखाड़ों के अलावा उन्हें रैलियों में भी देखा जाने लगा था. 

मुलायम सिंह के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1967 से हुई. तब वह महज 28 वर्ष के थे. मुलायम सिंह के राजनीतिक गुरु नत्थु सिंह थे. वह उस समय जसवंत नगर सीट से विधायक थे. उन्होंने मुलायम सिंह यादव की प्रतिभा को पहचान लिया. नत्थु सिंह  ने मुलायम सिंह को अपनी सीट से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया. इसके बाद मुलायम सिंह जसवंत नगर सीट से शोसलिस्ट पार्टी के उम्मीद्वार बन गए. कहा जाता है कि, इस दौरान मुलायम सिंह यादव के पास प्रचार प्रसार करने के लिए कोई साधन नहीं था. तब उन्होंने अपने दोस्तों से मिलकर एक वोट एक नोट का नारा दिया था. वह लोगों से चंदे में एक- एक रुपए मांगते थे. और उसे ब्याज समेत लौटाने का वादा करते. इस बीच उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए एक पुरानी अंबेस्डर कार भी खरीदी. लेकिन इसमें तेल की व्यवस्था करनी थी. इसके लिए गांव वालों ने हफ्ते में एक दिन केवल एक वक्त का खाना खाया और बाकी बचे अनाज को बेचकर तेल की व्यवस्था की.

नेता जी के 5 दशक का राजनीतिक सफर

- 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996- 8 बार विधायक रहे. 

- 1977 उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारी और पशुपालन मंत्री रहे. लोकदल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी रहे.  

1980 में जनता दल प्रदेश अध्यक्ष रहे. 

- 1982-85- विधानपरिषद के सदस्य रहे.  

 -1985-87- उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे. 

- 1989-91 में उत्तर प्रदेश के सीएम रहे.  

 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया.

- 1993-95- उत्तर प्रदेश के सीएम रहे.  

 1996- सांसद बने.

- 1996-98-  रक्षा मंत्री रहे. 

- 1998-99 में दोबारा सांसद चुने गए.  

-1999 में तीसरी बार सांसद बन कर लोकसभा पहुंचे और सदन में सपा के नेता बने. 

- अगस्त 2003 से मई 2007 में उत्तर प्रदेश के सीएम बने.  

-2004 में चौथी बार लोकसभा सांसद बने.

- 2007-2009 तक यूपी में विपक्ष के नेता रहे.

- मई 2009 में 5वीं बार सांसद बने. 

- 2014 में 6वीं बार सांसद बने.

-2019 से 7वीं बार सांसद थे.


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