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आधुनिक लाहौर के निर्माता राय बहादुर सर गंगाराम

आज के अधिकतर भारतीयो के लिए सर गंगाराम का काम और नाम सिर्फ उस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल से ही जुड़ता है और कई लोगों को यह भी नहीं पता होगा कि सर गंगाराम अस्पताल लाहौर में भी मौजूद है.

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By Deepakshi | खबरें - 14 April 2021

अधिकतर दिल्लीवाले सर गंगाराम का नाम लेते ही उस अस्पताल का जिक्र छेड़ देते हैं जो उनके नाम पर बना है. लेकिन बंटवारे से पहले के हिंदुस्तान में वह लाहौर के सबसे बड़े समाजसेवियों में से एक थे और काफी मशहूर भी. आज के हिंदुस्तान में उनकी कहानी थोड़ी कम मशहूर जरूर है, लेकिन उन्हें आधुनिक लाहौर का निर्माता भी कहा जाता है. बंटवारे के बाद सर गंगाराम का परिवार हिंदुस्तान आ गया था.

आज के अधिकतर भारतीयो के लिए सर गंगाराम का काम और नाम सिर्फ उस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल से ही जुड़ता है और कई लोगों को यह भी नहीं पता होगा कि सर गंगाराम अस्पताल लाहौर में भी मौजूद है. असल में, लाहौर वाले अस्पताल को तो सर गंगाराम ने खुद शुरू करवाया था, जबकि दिल्ली वाले अस्पताल की शुरुआत उनके परिजनों ने 1950 के दशक में की थी.

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14 अप्रैल, 1851 को गंगाराम का जन्म ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) पंजाब प्रांत के गांव मंगलनवाला में हुआ था. मंगतनवाला लाहौर से महज 64 किमी दूर एक छोटा-सा कस्बा है. उनके पिता, दौलत राम, मंगलनवाला में एक पुलिस स्टेशन में जूनियर सब इंस्पेक्टर थे. शुरुआत से ही, गंगाराम मेधावी छात्र थे और 1869 को उन्होंने एक छात्रवृत्ति पाकर गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर में दाखिला लिया.

1871 में, उन्हें थॉमसन इंजीनियरिंग कॉलेज, रुड़की में स्कॉलरशिप मिली. उन्होंने अपनी डिग्री 1873 में पूरी की और गोल्ड मेडल हासिल किया. उन्हें सहायक अभियंता नियुक्त किया गया और शाही असेंबली के निर्माण में मदद के लिए दिल्ली बुलाया गया. उनके काम से प्रभावित होकर लॉर्ड रिपन ने उन्हें ब्रिटेन के ब्रैडफोर्ड भेजा ताकि वह ड्रेनेज और वॉटर वर्क्स का काम की दो साल तक ट्रेनिंग ले सकें.

1900 में, गंगा राम को लॉर्ड कर्जन ने किंग एडवर्ड सप्तम के सम्मान में लगने वाले शाही दरबार के निर्माण कार्यों का सुपरिटेंडेंट नियुक्त किया. गंगाराम ने अपने जीवन का अधिकतर हिस्सा लाहौर को समर्पित किया था, जहां वह बतौर इंजीनियर और समाजसेवक कार्यरत रहे. उन्होंने लाहौर में जलापूर्ति का नया नेटवर्क तैयार किया था और इसके साथ ही कई इमारतें उनकी देख-रेख में तैयार हुई थीं.

वह 12 साल तक लाहौर के कार्यकारी अभियंता रहे. और इस अवधि को उनके सम्मान में, वास्तुकला की गंगाराम अवधि कहा जाता है. सर गंगाराम की महान उपलब्धि थी, गंगापुर एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट. गंगापुर ऐसा पहला कृषि फार्म था, जहां मैकेनिकल रीपर और रिजर, हैरो, स्केथेस, स्प्रे और नए प्रकार के बागवानी उपकरणों के साथ ही कई तरह के आधुनिक डिजाइन और बेहतर उपकरणों का इस्तेमाल पहली बार किया गया. ब्रिटिश राज की सेवा के अंत में, सरकार ने उन्हें लॉयलपुर की नई बस्ती चिनाब कॉलोनी में 500 एकड़ जमीन आवंटित की थी.

उन्हें 1903 में राय बहादुर का खिताब मिला, और दिल्ली दरबार में उनकी सेवाओं के लिए 26 जून, 1903 को ‘ऑर्डर ऑफ द इंडियन एम्पायर’(सीआइई) प्रदान किया गया. 12 दिसंबर 1911 को, दिल्ली दरबार में उन्हें रॉयल विक्टोरियन ऑर्डर (एमवीओ) का सदस्य (वर्तमान में लेफ्टिनेंट) नियुक्त किया गया था.  1922 में सम्राट जॉर्ज पंचम ने उन्हें बकिंघम पैलेस में व्यक्तिगत रूप से उनको सम्मानित किया था.

उन्होंने जनरल पोस्ट ऑफिस लाहौर, लाहौर संग्रहालय, एचिसन कॉलेज, मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स (अब नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स), गंगा राम अस्पताल लाहौर, 1921, लेडी मक्लेगन गर्ल्स हाई स्कूल, सरकारी कॉलेज विश्वविद्यालय के रसायन विभाग का डिजाइन और निर्माण किया.मेयो अस्पताल के अल्बर्ट विक्टर विंग, सर गंगाराम हाईस्कूल (अब लाहौर कॉलेज फॉर विमेन), हैली कॉलेज ऑफ कॉमर्स (अब बैंकिंग एंड फाइनेंस के हैली कॉलेज)भी उनकी डिजाइनों पर आधारित है.उन्होंने लाहौर के सर्वश्रेष्ठ इलाकों, रेनाला खुर्द में पावरहाउस के साथ-साथ पठानकोट और अमृतसर के बीच रेलवे ट्रैक के बाद मॉडल टाउन और गुलबर्ग शहर का निर्माण किया.

10 जुलाई, 1927 को लंदन में उनकी मृत्यु हो गई जहां से उनकी राख भारत वापस लाई गई. राख का एक हिस्सा गंगा नदी में प्रवाहित किया गया और बाकी को रावी नदी के तट पर लाहौर में दफनाया गया.

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