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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद पहली बार किसी जोड़े को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए कानूनी मान्यता मिल गई है। देहरादून जिले से आवेदन करने वाले इस जोड़े का पंजीकरण आधिकारिक रूप से किया गया है। यह राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी रूप से मान्यता देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के इच्छुक जोड़ों को पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके लिए एक विस्तृत 16 पेज का फॉर्म भरना होगा, जिसमें आवेदकों से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी जाती हैं। पंजीकरण के लिए कुछ शर्तें लागू हैं जैसे:
- पुरुष के लिए न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और महिला के लिए 18 वर्ष होनी चाहिए।
- आवेदकों को यह प्रमाणित करना होगा कि वे वर्तमान में किसी अन्य वैवाहिक संबंध में नहीं हैं।
- यदि पहले कोई लिव-इन रिलेशनशिप रहा हो, तो उसका विवरण देना होगा।
- दोनों पक्षों की सहमति और कानूनी रूप से दस्तावेजों के माध्यम से प्रमाणन अनिवार्य होगा।
- पंजीकरण शुल्क का भुगतान करना होगा।
इसके अलावा, राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कुछ और आवेदन आए हैं, जिनकी पुलिस और प्रशासन द्वारा जांच की जा रही है। पंजीकरण की प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को कानूनी सुरक्षा मिले और उन्हें सामाजिक और कानूनी विवादों से बचाया जा सके।
उत्तराखंड सरकार द्वारा इस कानून को लागू करने से लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता मिलने के साथ समाज में इस बारे में पारंपरिक सोच में बदलाव आने की उम्मीद है। अब यह पंजीकरण अनिवार्य होने से जोड़े अपनी कानूनी स्थिति को स्पष्ट कर सकेंगे, और महिलाओं और बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित होने से बचाया जा सकेगा।




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