चीन-ताइवान में छिड़ी जंग, एक बार फिर बढ़ा तनाव

अमेरिका की वरिष्ठ राजनयिक नैन्सी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन नाराज हो गया है. पेलोसी के दौरे से ताइवान और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है.

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अमेरिका की वरिष्ठ राजनयिक नैन्सी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन नाराज हो गया है. पेलोसी के दौरे से ताइवान और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. अमेरिकी राजनयिक के दौरे के विरोध में चीन ने ताइवान में PLA वॉर ड्रिल के नाम पर युद्ध उपकरण हटा दिए हैं. ऐसे में अगर ताइवान और चीन के बीच युद्ध शुरू हो जाता है तो इसका दुनिया पर क्या असर होगा, ये जानना जरूरी है. ताइवान और चीन के बीच युद्ध की स्थिति में मोबाइल-लैपटॉप और कारों से लेकर कई चीजें सीधे तौर पर प्रभावित होंगी.

92 फीसदी एडवांस सेमीकंडक्टर्स

अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो एक चिप की तरह पूरी दुनिया के सामने संकट खड़ा हो सकता है. दरअसल, चिप के लिए पूरी दुनिया ताइवान पर निर्भर है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान की सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी दुनिया के 92 फीसदी एडवांस सेमीकंडक्टर्स का उत्पादन करती है. इसी तरह की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सेमीकंडक्टर्स से होने वाली कुल कमाई में ताइवान की कंपनियों की हिस्सेदारी 54 फीसदी है.

चीन का मानना ​​है कि ताइवान उसके प्रांतों में से एक है, जो अंततः फिर से उसका हिस्सा बन जाएगा. वहीं ताइवान खुद को आजाद देश मानता है. ताइवान का अपना संविधान है और यह लोगों द्वारा चुनी गई सरकार द्वारा शासित है. ताइवान दक्षिण-पूर्व चीन के तट से लगभग 100 मील की दूरी पर स्थित एक द्वीप है. यह पहली द्वीप श्रृंखला में मौजूद है, जिसमें कई अमेरिकी समर्थक देश स्थित हैं. यदि चीन ताइवान पर अधिकार कर लेता है, तो कई पश्चिमी विशेषज्ञों के अनुसार, वह पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए स्वतंत्र होगा.

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