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कौन है नागा साधु ? क्या है इनकी साधु बनने की प्रक्रिया? आइए इसके बारे में जानते हैं।

भारतीय सनातन धर्म में नागा साधु का एक महत्वपूर्ण स्थान है। नागा साधु का जीवन बहुत ही रास्यमई और अनोखा है। नागा साधु का जीवन तपस्या, त्याग, और आत्म-निरीक्षण के लिए समर्पित है। क्या आपको पता है नागा साधु कैसे बनते हैं? क्या है इनकी साधु बनने की प्रक्रिया? आइए इसके बारे में जानते हैं।

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By Nisha Bhisht | Faridabad, Haryana | खबरें - 17 January 2025

भारतीय सनातन धर्म में नागा साधु का एक महत्वपूर्ण स्थान है। नागा साधु का जीवन बहुत ही रास्यमई और अनोखा है। नागा साधु का जीवन तपस्या, त्याग, और आत्म-निरीक्षण के लिए समर्पित है। क्या आपको पता है नागा साधु कैसे बनते हैं? क्या है इनकी साधु बनने की प्रक्रिया? आइए इसके बारे में जानते हैं।

 कौन हैं नागा साधु?

हिंदु इतिहास में नाग शब्द संस्कृत भाषा से लिया है जिसका अर्थ है नग यानि पहाड़ या गुफाओं में रहने वाले नागा। आदि शंकराचार्य ने 9वीं सदी में दशनामी समुदाय की शुरुआत की थी। अनेक नागा साधु इसी समुदाय से आते हैं। इन साधुओं को भिक्षा देते समय दस नामों से जोड़ा जाता है- जैसेकि अरण्य, आश्रम, भारती, गिरि, पर्वत, पुरी, सरस्वती, सागर, तीर्थ और वाना । इसलिए नागा साधुओं को दशनामी भी बोला जाता है।

दशनामी साधु बनने की प्रक्रिया

नागा साधु बनने के लिए कठिन तपस्या करनी होती है और इसकी बड़ी प्रक्रिया होती है। नागा साधुओं के पंथ में शामिल होने की प्रक्रिया में लगभग छह साल लगते हैं

जो लोग नागा साधु बनना चाहते हैं, उन्हें पहले अखाड़े में आवेदन देना होता है, फिर उनकी अच्छी तरह जाँच-पड़ताल की जाती है और फिर अखाड़े में प्रवेश दिया जाता है। इस दौरान नए सदस्य एक लंगोट के अलावा कुछ नहीं पहनते। व्यक्ति को नागा साधु बनाने के लिए पहले उसे लम्बे समय तक ब्रह्मचारी के रूप में रहना होता है, और अखाड़े में रहकर अपने गुरु की सेवा करनी होती है, फिर उसे महापुरुष बनाया जाता है। इसके लिए उसे सूर्योदय के समय नदी में 108 बार डुबकियां लगवाई जाती हैं। अन्तिम प्रक्रिया महाकुम्भ के दौरान होती है जिसमें उनका स्वयं का पिण्डदान शामिल होता है। व्यक्ति को नागा साधु बनाने के लिए 17 पिंड दान करने होते हैं जिसमें 16 अपने पूर्वजों के और 1 अपना पिंड दान होता है।

वर्तमान समय में भारत में  प्रमुख 13 अखाड़े हैं- निरंजनी अखाड़ा, जूनादत्त अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, नागापंथी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, महार्निर्वाण अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, पंचार्ग्रि अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, उदासीन अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा, वैष्णव अखाड़ा।

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