कौन हैं संत बाबा राम सिंह, जो नहीं देख सकें किसानों का दुःख और कर ली आत्महत्या

जानकारी मिलते ही सिख उपदेशक को उपस्थित लोग पानीपत के नजदीक अस्पताल में लेकर गए लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

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पिछले कई दिनों से कृषि बिल के ख़िलाफ़ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन के बीच एक चौकाने वाली ख़बर सामने आई है। पुलिस ने बताया कि कल यानि बुधवार के दिन दिल्ली में सिंघू सीमा के पास एक 65 वर्षीय पुजारी की जान चली गई। बता दें कि जिस व्यक्ति की मौत हुई वो हरियाणा के करनाल जिले के निसिंग क्षेत्र के सिंघरा गाँव के रहने वाले हैं और उनका नाम संत बाबा राम सिंह है। मिली जानकारी के मुताबिक़ संत बाबा राम सिंह एक धार्मिक उपदेशक थे। एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि वो किसानों द्वारा किया जा रहा ये प्रदर्शन नहीं देख सकते। जो उनके द्वारा राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाके में किया जा रहा है। 

सुसाइड नोट के मुताबिक़, उन्होंने खुद को गोली मार कर अपनी ज़िंदगी को ख़त्म कर लिया क्योंकि वह किसानों का दुःख नहीं देख पा रहे थे। सोनीपत पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि उनके पास फोन आया कि संत राम सिंह ने खुद को गोली मार अपनी जान लेली। पुलिस लोगों के बयान दर्ज कर रही है।

जानकारी मिलते ही सिख उपदेशक को उपस्थित लोग पानीपत के नजदीक अस्पताल में लेकर गए लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बता दें कि ये घटना किसानों के आंदोलन के 21 वें दिन हुई।

एसएडी के प्रवक्ता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया और किसानों से संयम बरतने का आग्रह किया और अपने ट्विटर हैंडल के ज़रिए से अपना दुःख प्रदर्शित करते हुए उन्होंने कहा कि एक बहुत दुखद समाचार प्राप्त हुआ है कि संत राम सिंह, जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।


सिरसा ने भी किसानों से संयम बरतने की अपील की

यह बहुत ही गंभीर और दुःख का समय है। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि DSGMC के मुख्य संयोजक संयम बरतें क्योंकि कोई भी किसान आंदोलन में गड़बड़ी कर सकता है। सिरसा ने कहा कि यह हम सभी के लिए बहुत दुखद घटना है, लेकिन हमें संयमित रहने की जरूरत है।

पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के हजारों किसान पिछले तीन हफ्तों से दिल्ली की सीमाओं के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें मांग की गई है कि केंद्र के कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए।

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