बकरीद का त्योहार है बेहद ख़ास, मानवता, भाईचारे का संदेश देता है ये त्योहार

फर्ज निभाने की सीख देता है ईद-उल-अजहा त्योहार

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देखा जाए तो इस्लाम धर्म के दो प्रमुख त्योहार होते हैं. एक को ईद-उल-फितर कहते हैं और दूसरे को ईद-उल-अजहा.  ईद-उल-फितर को भारत में मीठी ईद भी कहते हैं और ईद-उल-अजहा को बकरीद. ईद त्योहार एक ख़ास संदेश के साथ मनाया जाता है, ईद सबसे प्रेम करने का संदेश देता है. बकरीद अल्लाह पर भरोसा रखने का संदेश देता है. ईद-उल-अजहा कुर्बानी का दिन है. बकरीद दुनिया भर के इस्लाम धर्म में आस्था रखने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार है. ये पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है.

क्या संदेश देती है ये त्योहार

ईद-उल-अजहा एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह त्योहार अपना फर्ज निभाने का संदेश देता है. अल्लाह के प्रति आस्था का प्रतीक है ये त्योहार. इस त्योहार का एक खास महत्व है. ये त्योहार हमें फर्ज निभाने की शिक्षा भी देता है.

कब मनाया जाता है ये त्योहार

ये त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से मनाई जाता है. यह पर्व रमजान के पाक महीने के करीब 70 दिनों बाद आता है. इस त्योहार के दिन बकरे या किसी अन्य पशु की बलि दी जाती है. 

क्‍या है बकरीद का महत्‍व?

यह पर्व मुस्लिमों के लिए बेहद खास है. ये पर्व हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. इस्लामिक ग्रंथों के मुताबिक हजरत इब्राहिम, अल्लाह में सबसे ज्यादा विश्वास करते थे. अल्लाह पर विश्वास दिखाने के लिए उन्हें अपने बेटे इस्माइल की बलि देनी थी, लेकिन जैसे ही उन्होंने ऐसा करने की कोशिश की तो कुर्बानी के लिए उनके बेटे के बजाए एक दुंबा वहां आ गया.  इसी बात को आधार मानकर बकरीद के दिन जानवरों की कुर्बानी दी जाती है.  


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