बुधवार को गणेश पूजा का महत्व, ऐसे करेंगे आराधना तो पूर्ण होगी मनोकामना

हिन्दू धर्म में लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं. या यूं कहें कि हफ्ते के 7 दिनों में हर दिन किसी न किसी भगवान का निश्चित होता है,

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हिन्दू धर्म में लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं. या यूं कहें कि हफ्ते के 7 दिनों में हर दिन किसी न किसी भगवान का निश्चित होता है, जिसमें बुधवार का दिन हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश का होता है. बुधवार के दिन भगवान गणेश को खुश करने के लिए उनकी आराधना की जाती है. बुधवार  को गणेश जी की पूजा करने से जातकों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. गणेश जी सभी देवों में सर्वप्रथम पूजनीय हैं. जैसी धार्मिक कार्य की शुरुआत गणेश पूजा से होती है. किसी भी पूजा से पहले उनकी पूजा की जाती है तभी वह पूजा मान्य होती है. भगवान श्री गणेश की पूजा के बिना हिंदू धर्म में कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती है. हर  बुधवार को गणपति बाप्पा की पूजा करते समय कुछ विशेष आरतियां जरूर करें. इससे गणपति बप्पा प्रसन्न हो जाते हैं. हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि का दाता माना जाता है. भगवान गणेश महादेव शिव शंकर और माता पार्वती के पुत्र हैं. गणेश जी की पूजा के समय उनकी दोनों पत्नियों रिद्धि और सिद्धि की भी पूजा होती हैं.


इस समय सावन का महीना चल रहा है, यानि कि महादेव का महीना, इस महीने गणेश जी पिता की पूजा होती है, लेकिन किसी की भी पूजा हो या कोई भी शुभ कार्य हो बिना गणेश आराधना के शुरू नहीं सकता. भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता हैं. विग्नहरण, गजानन, एकदन्त, लम्बोदर, दयावन्त जैसे और भी कई नाम हैं. गणेश जी की पूजा करने से केतु की अशुभता दूर होती है साथ ही गणेश पूजा करने से रोग आदि से मुक्ति मिलती है. गणपति बप्पा को शिक्षा का भी दाता माना जाता है.


भगवान गणेश के मंत्र 

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात

ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा

ॐ गं गणपतये नमः

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा   


श्रीगणेश आरती 


शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको

दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको


हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको

महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको 


जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता

धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता 


अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि

विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी


कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी

गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि


जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता

धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता 


भावभगत से कोई शरणागत आवे

संतत संपत सबही भरपूर पावे


ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे 


जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता

धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता

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