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स्पेशल रिपोर्ट: ज़िंदगी के लिए ज़रूरी हो गया है खरीदा हुआ ऑक्सीजन

भारत में कैसे ऑक्सीजन खरीदने पर ही मिल रहा है लोगों को जीवन, घूट रही है कमजोर सिस्टम के बीच लोगों की उम्मीदें.

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By Deepakshi | खबरें - 27 April 2021

कहते है कि हमारा शरीर पंच तत्वों से बना है- वायु, अग्नि, जल, आकाश और पृथ्वी.  मौत के बाद ये शरीर मिट्टी में बदल जाता है, लेकिन यदि ऐसा किसी की लापरवाही और फायदे के चलते हुआ हो तो इस पर आप क्या कहना चाहेंगे? ये तमाम बातें हम आपको इसीलिए बता रहे हैं क्योंकि कोरोना के चलते ये भयानक तस्वीर इस वक्त सामने आ रही है. कही चीखते हुए एक बेटी अपने पिता को खोते हुए रो-रोकर सिस्टम पर लापरवाही का इल्ज़ाम लगा रही है. वहीं, अपनों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर को खरीदने के लिए लोग 24 घंटे से ज्यादा भीड़ में लगे हुए है. आज एक अमीर इंसान भी लाचार होता हुआ नजर आ रहा है.  वैसे दिल्ली में इस तरह की लापरवाही का इल्ज़ाम कुछ लोग सरकार पर लगा रहे हैं तो कुछ कालाबाजारी करने वाले लोगों पर.


आंकड़ें कुछ और हकीकत कुछ 

आलम ये है कि दिल्ली और गाजियाबाद के 20 अस्पतालों में ऑक्सीजन न मिलने के चलते कई परिवार अपनों को खोते हुए नजर आए हैं. रो-रोकर ये कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि काश ऑक्सीजन वक्त पर मिल जाती तो अपनों को खोना नहीं पड़ता. दिल्ली में कोरोना किस कदर लोगों की जिंदगी बर्बाद कर चुका है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि दिल्ली के निगमबोध श्मशान घाट पर लोग मृतक का अंतिम संस्कार करने को लेकर नंबर लगा रहे हैं. दूर-दूर तक एंबुलेंस की लाइन लगी हुई है. लगातार लोगों के आंसू अपनों के लिए बेहते हुए नजर आ रहे हैं. सरकार चाहे आकंड़ें कुछ भी दिखा रही हो लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है. कोरोना ने ऐसी स्थिति कर दी है कि लोग आखिरी समय पर भी अपनों से नहीं मिल पाए हैं. लोग वीडियो कॉल करके आखिर बार अपने परिजन की झलक देखने को मजबूर हो रखे हैं. 

ऐसा कहा जा रहा है कि 3 मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना के चलते हो गई है. वैसे ज्यादातर लोगों के मुंह से ये बात कहते हुए सुना गया है कि परिजनों को भर्ती किए जाने के बाद उनकी सही अपडेट उन्हें नहीं मिल पा रही है. एक वीडियो के अंदर एक व्यक्ति ये तक बताता हुआ दिखा कि उसकी पत्नी का बिना टेस्ट करें उन्हें पॉजिटिव बता दिया गया.


8 महीने की बच्ची की जान बचाने के लिए करने पड़े ये जतन

वहीं,  नोएडा के रहने वाले अंशुल श्रीवास्तव ने अपनी आपबीती हमें बताई तो हम हैरान रहे गए. उनके परिवार के सभी सदस्य कोरोना संक्रमित पाए गए, उनमें से एक 8 महीने की बच्ची रही जिसका एक ही फेफड़ा जन्म से ही काम करता है. ऑक्सीजन को लेकर उन्हें परेशानी होने लगी थी. 50 नंबर्स पर उन्होंने कॉल किया जो कि व्हाट्सएप पर उन्हें मिल रहे थे, लेकिन कुछ के नंबर्स बंद आ रहे थे तो कुछ के कॉल्स नहीं मिल पा रहे थे. ऐसी परिस्थिति में उनकी कंपनी के एमडी ने उनकी मदद की. इंडस्ट्रीयल की एक खाली ऑक्सीजन का सिलेंडर उनके पास खाली पड़ा था वो उन्होंने दिया. उसे लेकर अंशुल  नोएडा से फरीदाबाद गए. वहां एक कंपनी से ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाया. वो एक सिलेंडर भरने के 500 रुपए ले रहे हैं. सिलेंडर भरवाने के बाद अंशुल वापस से 30 किलोमीटर नोएडा गए. इसके बाद रेगुलेटर की परेशानी पैदा हो गई.

अंशुल ने बताया कि यदि किसी के पास खाली सिलेंडर है तो लोगों को मदद मिल जाएगी, लेकिन नया सिलेंडर मिल पाना काफी ज्यादा मुश्किल है. अंशुल जी ने बताया कि उनकी सोसाइटी में भी कई केस सामने आए हैं. उन्होंने भी सरकार पर कही न कही तंज कसते हुए कहा कि उन्हें लोगों को जरूरी चीजें उपलब्ध करानी चाहिए, जोकि लोगों को नहीं मिला पा रही थी.


कब सरकार खोलेगी अपनी आंख

इसी बीच दिल्ली बीजेपी ने मांग की है कि आठ ऑक्सीजन प्लांटों को ना लगाने के लिए लापरवाही के चलते केजरीवाल सरकार पर आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाए. एक चीज ये नहीं समझ आती कि आखिर आम आदमी की गलती क्या सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने ऐसे नेताओं को चुना जिससे उन्होंने ये उम्मीद लगाई थी कि आने वाले वक्त में सब कुछ अच्छा हो जाएगा, लेकिन वो तमाम बातें तो सिर्फ खोखली बातें ही बनकर रह गई है. हर कोई बस यहीं उम्मीद कर रहा है कि भगवान इस महामारी से लोगों को जल्दी राहत मिले.

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